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Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi

Moral Stories
7 Min Read
गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi
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इस पृष्ट पर आप गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय (Tulsidas Biography in Hindi) पढ़ सकते हैं। इसमें हमने उनके जन्म, निजी जीवन, कवि के रूप में कार्यकाल के बारे में बताया है।

Contents
तुलसीदास जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन Birth and Early Lifeतुलसीदास के गुरु Guru of Tulsidas Jiतुलसीदास का विवाह Marriage of Tulsidasराम दर्शन Rama Darshanतुलसीदास जी की मृत्यु Deathतुलसीदास जी द्वारा लिखित ग्रन्थ Book written by Tulsidas Ji

तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान कवि थे, लोग तुलसी दास को वाल्मीकि का पुनर्जन्म मानते है। तुलसी दास जी अपने प्रसिद्ध कविताओं और दोहों के लिए जाने जाते हैं। उनके द्वारा लिखित महाकाव्य रामचरित मानस पूरे भारत में अत्यंत लोकप्रिय हैं। तुलसी दास जी ने अपना ज्यादातर समय वाराणसी में बिताया है। (पढ़ें: रामायण की पूर्ण कहानी लघु रूप में)

तुलसीदास जी जिस जगह गंगा नदी के किनारे रहते थे उसी जगह का नाम तुलसी घाट रखा गया और उन्होंने वहां संकट मोचन हनुमान का मंदिर बनाया था। लोगों का मानना है कि वास्तविक रूप से हनुमान जी से तुलसी दास जी वहीं पर मिले थे, और तुलसी दास जी ने रामलीला की शुरुआत की।

तो आईये शुरू करते हैं – तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi

https://www.youtube.com/watch?v=87j8z4C94Ys
तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi हिन्दी विडियो

तुलसीदास जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन Birth and Early Life

तुलसीदास जी का जन्म 1511 ई. में हुआ था। इनके जन्म स्थान के बारे में काफी मतभेद है, परन्तु अधिकांश विद्वानों के अनुसार इनका जन्म राजापुर, चित्रकूट जिला, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके बचपन का नाम रामबोला था और इनके पिता जी का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसी दास के गुरु का नाम नर हरिदास था।

अक्सर लोग अपनी मां की कोख में 9 महीने रहते हैं लेकिन तुलसी दास जी अपने मां के कोख में 12 महीने तक रहे और जब इनका जन्म हुआ तो इनके दाँत निकल चुके थे और उन्होंने जन्म लेने के साथ ही राम नाम का उच्चारण किया जिससे इनका नाम बचपन में ही रामबोला पड़ गया।

जन्म के अगले दिन ही उनकी माता का निधन हो गया। इनके पिता ने किसी और दुर्घटनाओं से बचने के लिए इनको चुनिया नामक एक दासी को सौंप दिया और स्वयं सन्यास धारण कर लिए। चुनिया रामबोला का पालन पोषण कर रही थी और जब रामबोला साढ़े पाँच वर्ष का हुआ तो चुनिया भी चल बसी। अब रामबोला अनाथों की तरह जीवन जीने के लिए विवश हो गया।

तुलसीदास के गुरु Guru of Tulsidas Ji

तुलसीदास के गुरु नर हरिदास को बहुचर्चित रामबोला मिला और उनका नाम रामबोला से बदलकर तुलसी राम रखा और उसे अयोध्या उत्तर प्रदेश ले आए। तुलसी राम जी ने संस्कार के समय बिना कंठस्थ किए गायत्री मंत्र का स्पष्ट उच्चारण किया। यह देख सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। तुलसी राम जी काफी तेज बुद्धि वाले थे, वे जोभी एक बार सुन लेते थे तो उन्हें कंठस्थ हो जाता था।

तुलसीदास का विवाह Marriage of Tulsidas

29 वर्ष की अवस्था में राजापुर के निकट स्थित यमुना के उस पार तुलसीदास विवाह एक सुंदर कन्या रत्नावली के साथ हुआ। गौना न होने की वजह से वह कुछ समय के लिए काशी चले गए। काशी में रहकर हुए वेद वेदांग के अध्ययन में जुट गए। अचानक उनको अपनी पत्नी रत्नावली की याद सतायी और वह व्याकुल होने लगे तभी उन्होंने अपने गुरु से आज्ञा लेकर राजापुर आ गए।

उनका अभी गौना नहीं हुआ था तो उनकी पत्नी मायके में ही थी, अंधेरी रात में ही यमुना को तैरकर पार करते हुए अपनी पत्नी के कक्ष पहुँचे गए। उनकी पत्नी ने उन्हें लोक-लज्जा के भय से वापस चले जाने के लिए आग्रह किया। उनकी पत्नी रत्नावली स्वरचित एक दोहे के माध्यम से उनको शिक्षा दी। ये दोहा सुनने के बाद तुलसी राम से तुलसी दास बन गए।

वह दोहा इस प्रकार है-

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति।
नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।

ये दोहा सुनकर वे अपनी पत्नी का त्याग करके गांव चले गए और साधू बन गए, और वहीं पर रहकर भगवान राम की कथा सुनाने लगे। उसके बाद 1582 ई. में उन्होंने श्री रामचरितमानस लिखना प्रारंभ किया और 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन में यह ग्रंथ संपन्न हुआ।

राम दर्शन Rama Darshan

तुलसी दास जी हनुमान की बातों का अनुसरण करते हुए चित्रकूट के रामघाट पर एक आश्रम में रहने लगे और एक दिन कदमगिरी पर्वत की परिक्रमा करने के लिए निकले। माना जाता है वहीं पर उन्हें श्रीराम जी के दर्शन प्राप्त हुए थे। इन सभी घटनाओं का उल्लेख उन्होंने गीतावली में किया है।

तुलसीदास जी की मृत्यु Death

उन्होंने अपनी अंतिम कृति विनयपत्रिका को लिखा और 1623 ई. में  श्रावण मास तृतीया को राम-राम कहते हुए अपने शरीर का परित्याग कर दिया और परमात्मा में लीन हो गए।

तुलसीदास जी द्वारा लिखित ग्रन्थ Book written by Tulsidas Ji

तुलसी दास जी ने अपने देश जीवनकाल में काफी ग्रंथों को लिखा है जो कि निम्नलिखित है –

श्री रामचरितमानस, सतसई, बैरव रामायण, पार्वती मंगल, गीतावली, विनय पत्रिका, वैराग्य संदीपनी, रामललानहछू, कृष्ण गीतावली, दोहावली और कवितावली आदि है। तुलसीदास जी ने अपने सभी छन्दों का प्रयोग अपने काव्यों में किया है।  

इनके प्रमुख छंद हैं दोहा सोरठा चौपाई कुंडलिया आदि, इन्होंने शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों का भी प्रयोग अपने काव्यों और ग्रंथो में किया है और इन्होंने सभी रसों का प्रयोग भी अपने काव्यों और ग्रंथों में किया है ,इसीलिए इनके सभी ग्रंथ काफी लोकप्रिय रहे हैं।

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