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Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

रामायण: सीता हरण की कहानी Story of Sita Haran in Hindi

Moral Stories
10 Min Read
रामायण: सीता हरण की कहानी Story of Sita Haran in Hindi
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रामायण: सीता हरण की कहानी Story of Sita Haran in Hindi

Contents
रामायण: सीता हरण की कहानी Story of Sita Haran in Hindiराम सीता और लक्ष्मण का वनवासराम और लक्ष्मण का शूर्पणखा से मिलनाखर और दूषण से राम लक्ष्मण का युद्धरावण द्वारा सीता का हरण करनामारीच द्वारा स्वर्ण मृग का रूप धारण करनारावण द्वारा भिक्षुक का रूप धारण करनासीता माता द्वारा लक्ष्मण रेखा से बाहर आनाइस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? Moral of this story

आप लोगों ने रामायण में सीता हरण के बारे में जरूर सुना होगा। इस घटना पर अनेक फ़िल्में और टीवी सीरियल भी आते रहते हैं। इस लेख में हम आपको सीता हरण की पूरी कथा सुनाएंगे। रावण ने सीता का हरण किया था जो भगवान श्री राम की पत्नी थी।

इस घटना की वजह से ही राम रावण का युद्ध हुआ था। राम ने रावण का सर्वनाश किया था। बुराई को हराकर अच्छाई को जीत दिलाई थी।

पढ़ें : रामायण की कहानी का लघु रूप

रामायण: सीता हरण की कहानी Story of Sita Haran in Hindi

राम सीता और लक्ष्मण का वनवास

राजा दशरथ ने अपने पुत्र राम को वनवास दे दिया था। राम के साथ सीता और लक्ष्मण भी वनवास काट रहे थे। वे एक स्थान से दूसरे स्थान जाते रहते थे। ऋषि मुनियों की सेवा करते। राक्षसों, असुरो से उनकी रक्षा करते।

एक वन से दूसरे वन में घूमते हुए राम लक्ष्मण और सीता पंचवटी नामक स्थान पर पहुंच गये। यह उत्थान उन्हें अत्यंत प्रिय लगा और उन्होंने वनवास के अंतिम वर्षों में यहीं पर रहने का निश्चय किया। पंचवटी स्थान गोदावरी नदी के तट पर स्तिथ है। यहाँ पर राम लक्ष्मण और सीता एक कुटिया बनाकर रहने लगे।

राम और लक्ष्मण का शूर्पणखा से मिलना

राम, लक्ष्मण और सीता का वनवास का समय शांतिपूर्वक बीत रहा था। तभी राक्षस कन्या शूर्पणखा उसी वन में भ्रमण कर रही थी। पंचवटी में भ्रमण करते हुए उसकी मुलाकात भगवान राम से हुई। भगवान राम के गौर वर्ण और सुंदरता को देखकर वह मुग्ध हो गई।

उसने अपना रूप परिवर्तित कर लिया और एक सुंदर कन्या बनकर राम के पास गई और उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा। प्रभु राम ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योंकि वह पहले ही विवाह कर चुके थे। प्रभु राम ने शूर्पणखा को सीता के बारे में बताया।

प्रभु राम ने शूर्पणखा से कहा कि तुम मेरे छोटे भाई लक्ष्मण से विवाह कर सकती हो। वह रूपवान और गुणवान है। उसका शरीर स्वस्थ अत्यंत आकर्षक है। वह एक बलवान पुरुष है। तुम अपना विवाह प्रस्ताव लेकर लक्ष्मण के पास जाओ। तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी। जब शूर्पणखा विवाह का प्रस्ताव लेकर लक्ष्मण के पास गई तो उन्होंने अस्वीकार कर दिया।   

लक्ष्मण बोले की वे अपने भैया और भाभी के दास हैं। यदि शूर्पणखा उनसे विवाह करती है तो उसे भी दासी बनना पड़ेगा। इस बात से वह बहुत अपमानित महसूस करने लगी और उसने माता सीता पर आक्रमण कर दिया।

वह सोचने लगी कि यदि सीता की मृत्यु हो जाएगी तो राम उससे विवाह कर लेंगे। यह सोचकर उसने सीता पर आक्रमण किया था। लक्ष्मण ने सीता की रक्षा करते हुए अपनी तलवार निकाली और शूर्पणखा की नाक काट दी। इससे उसे बहुत दर्द हुआ और अपमानित महसूस करते हुए वह अपने भाई खर और दूषण के पास गई और लक्ष्मण से बदला लेने के लिए कहने लगी।  

पढ़ें : रावण कौन था? पूरी जानकारी

खर और दूषण से राम लक्ष्मण का युद्ध

शूर्पणखा द्वारा उकसाने पर खर और दूषण राम और लक्ष्मण से बदला लेने के लिए आए और युद्ध करने लगे। पर कुछ ही देर में दोनों मारे गए। अपने भाइयों की मृत्यु को देखकर वह और नाराज हो गई। शूर्पणखा अपना प्रतिशोध लेने के लिए राक्षसों के राजा और अपने बड़े भाई रावण के पास गई। उसने पूरी बात चीखते हुए बतायी कि किस तरह लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी।

रावण द्वारा सीता का हरण करना

शूर्पणखा ने रावण को सीता के रूप और सुंदरता के बारे में भी बताया जिससे रावण अत्यंत आकर्षित हुआ। वह अपने पुष्पक विमान में बैठकर आया और राक्षस मारीच के पास गया। मारीच के पास अपना रूप बदलने की दिव्य शक्तियां थी।

रावण ने मारीच से सीता हरण योजना में शामिल होने को कहा। पहले तो मारीच ने रावण को मना कर दिया। परंतु रावण द्वारा दबाव बनाने पर वह सीता हरण  षड्यंत्र में शामिल हो गया। यदि मारीच यह बात नहीं मानता तो रावण उसकी हत्या कर देता। उसने प्रभु राम द्वारा मिलने वाली मृत्यु का चुनाव किया।

मारीच द्वारा स्वर्ण मृग का रूप धारण करना

रावण के कहने पर मारीच ने स्वर्ण मृग (सुनहरा हिरण) का रूप धारण कर लिया और माता सीता का ध्यान आकर्षित करने लगा। जैसे ही माता सीता ने मारिच को देखा उन्होंने राम से आग्रह किया कि मरीज को पकड़कर ले आये।

प्रभु राम सीता माता की इच्छा पूरी करने के लिए स्वर्ण मृग (मारीच) के पीछे चले गए। जाने से पहले उन्होंने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को सीता की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी। बहुत समय व्यतीत हो गया पर प्रभु राम नहीं लौटे।

लक्ष्मण सोचने लगे कि निश्चित रूप से प्रभु राम किसी संकट में आ गए हैं। जैसे जैसे समय बीतता गया सीता माता की चिंता भी बढ़ने लगी। वे भी राम को लेकर व्याकुल होने लगी।

दूसरी ओर वन में प्रभु राम मारीच के पीछे दौड़ रहे थे और उन्होंने अपना तीर चलाया। जैसे ही तीर मारीच को लगा वह अपने असली रूप में आ गया। रावण की योजनानुसार मारीच “लक्ष्मण!! बचाओ लक्ष्मण! सीता! सीता!” की कराहती आवाज में चीखने लगा।

यह चीख सुनकर सीता अत्यंत व्याकुल हो गई। उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि “तुम जाकर अपने भैया की रक्षा करो!” जाने से पूर्व लक्ष्मण ने सीता माता की रक्षा के लिए कुटिया के चारों ओर लक्ष्मण रेखा बना दी।

“भाभी यह लक्ष्मणरेखा है! इसके भीतर कोई नहीं आ सकता! तुम इसके भीतर सुरक्षित रहोगी! पर जब तक मैं भैया को लेकर वापस ना लौटूं तुम इस लक्ष्मण रेखा के बाहर मत आना” यह बात कहकर लक्ष्मण प्रभु राम को खोजने चले गये।  

रावण द्वारा भिक्षुक का रूप धारण करना

रावण इसी अवसर को खोज रहा था। लक्षमण रेखा की वजह से वह कुटिया के भीतर ना प्रवेश कर सका। फिर उसने दूसरी योजना बनाई। रावण ने एक भिक्षुक (भिखारी) का रूप बना लिया। “भिक्षाम देहि” (भिक्षा दीजिए) वह कहने लगा। रावण की आवाज सुनकर सीता माता बाहर आयी और उसे पास आकर भिक्षा लेने को कहा।

सीता माता द्वारा लक्ष्मण रेखा से बाहर आना

रावण जानता था कि किसी भी तरह करके सीता माता को लक्ष्मण रेखा के बाहर लाना है। उसके बाद ही वह उनका अपहरण कर सकेगा। वह क्रोधित होने का अभिनय करने लगा। “किसी सन्यासी को बंधन में बांध कर दिया भिक्षा नहीं दी जाती। यदि मुझे भिक्षा देना है तो इस कुटिया के बंधन से मुक्त होकर भिक्षा दो अन्यथा मैं लौट जाऊंगा!” रावण ने कपट के साथ कहा।

सीता माता ने उसे बताया कि वह लक्ष्मण रेखा से बाहर नहीं आ सकती। कुछ देर बाद सीता माता लक्ष्मण रेखा के बाहर आ गई और रावण को भिक्षा देने लगी। रावण अपने असली रूप में आ गया और उसने माता सीता का अपहरण कर लिया। उसने सीता माता को बलपूर्वक अपने पुष्पक विमान में बिठा लिया और लंका की ओर चला गया।

लंका की ओर जाते हुए सीता माता ने अपने आभूषण धरती पर फेंकना शुरू कर दिया, जिससे प्रभु राम को उन तक पहुंचने का मार्ग मिल सके। सीता माता की पुकार सुनकर जटायु नाम का एक विशाल पक्षी उनकी रक्षा को आया और रावण से युद्ध करने लगा।

पर रावण ने उसके पंख काट दिए। जटायू पृथ्वी पर गिरा और कराहने लगा। सीता माता की पुकार सुनकर राम लक्ष्मण कुटिया की तरफ लौटे। जहां पर उन्हें सीता के अपहरण की जानकारी मिली।

सीता द्वारा फेंके गए आभूषण मिले और विशालकाय घायल पक्षी जटायु से वह मिले। जटायु ने प्रभु राम को बताया कि लंकापति रावण ने सीता का हरण कर लिया है और उन्हें लंका ले गया है।    

इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? Moral of this story

इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी व्यक्ति कितना ही बलवान क्यों ना हो, उसे स्त्री का अपमान नहीं करना चाहिए। स्त्री का अपमान विनाश को निमंत्रण देता है। रावण एक महाबली और शक्तिशाली राजा था, परंतु उसने सीता माता का अपमान किया और यही उसके अंत का कारण बना। राम के हाथों से उसे मृत्यु मिली। इसलिए हमें सदैव ही स्त्री का सम्मान करना चाहिए।   

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