श्री श्री रविशंकर का जीवन परिचय Sri Sri Ravi Shankar Biography in Hindi
रवि शंकर का जन्म 13 मई 1956 को हुआ था। वह एक भारतीय आध्यात्मिकता के गुरु है, उन्हें हम श्री श्री गुरुजी या गुरुदेव रवि के रूप में भी जानते है। वह आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के एक आध्यात्मिक नेता और संस्थापक हैं। जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत तनाव सामाजिक समस्याओं और हिंसा से छुटकारा पाना है।
श्री श्री रविशंकर का जीवन परिचय Sri Sri Ravi Shankar Biography in Hindi
मुख्य बातें और अवार्ड Important Information and Awards
1997 में उन्होंने जेनेवा स्थित चैरिटी इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज एन जी ओ की स्थापना की जो राहत कार्य और ग्रामीण विकास में संलग्न है और इसका उद्देश्य साझा वैश्विक मूल्यों को बढ़ावा देना है, उनकी सेवा के लिये उन्हें भारत, पेरू, कोलंबिया और पराग्वे समेत कई देशों के कुछ उच्चतम पुरस्कार प्राप्त हुये हैं। जनवरी 2016 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
प्रारंभिक जीवन Early life
रवि शंकर का जन्म पपानसम तमिलनाडु में माता विसालक्षी रत्नम और पिता आर एस वेंकट रत्नम के घर में हुआ था। उनका नाम रवि सूर्य के नाम पर पड़ा, क्योंकि उनका जन्म रविवार को हुआ था। रविशंकर के पहले शिक्षक सुधाकर चतुर्वेदी थे। जो एक भारतीय वैदिक विद्वान थे और महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे।
उनके पास सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ बैंगलोर विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ साइंस डिग्री थी। स्नातक होने के बाद रवि शंकर ने अपने दूसरे शिक्षक महर्षि महेश योगी के साथ यात्रा की। वैदिक विज्ञान सम्मेलन किये, उन्होंने अनुवांशिक ध्यान और आयुर्वेद केंद्र स्थापित किये।
आध्यात्मिकता की शुरुवात Starting of Spirituality
1980 के दशक में रवि शंकर ने दुनिया भर में आध्यात्मिकता में व्यावहारिक और अनुभवी पाठ्यक्रमों की एक श्रृंखला शुरू की। उनका कहना है कि उनकी लयबद्ध श्वास अभ्यास, सुदर्शन क्रिया है। 1982 में कर्नाटक राज्य में शिमोगा में भद्रा नदी के तट पर दस दिन की मौन साधना के बाद उनके मन में एक प्रेरणा जागी तब उन्होंने पढ़ाना शुरू किया”।
वे कहते हैं कि हर भाव की सांस में एक समान लय है और सांस को विनियमित करने से व्यक्ति को उभरने और व्यक्तिगत पीड़ा से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। 1983 में रवि शंकर ने स्विट्जरलैंड के पहले आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स आयोजित किये। 1986 में उन्होंने उत्तरी अमेरिका में आयोजित होने वाले पहले पाठ्यक्रम का संचालन करने के लिए अमेरिका में ऐप्पल वैली कैलिफ़ोर्निया की यात्रा की।
रवि शंकर यह बताते है कि आध्यात्मिकता वह है जो प्रेम, करुणा और उत्साह जैसे मानवीय मूल्यों को बढ़ाती है। यह किसी एक धर्म या संस्कृति तक ही सीमित नहीं है बल्कि आध्यात्मिकता के लिये सभी लोगों के रास्ते खुले है। उन्हें लगता है कि मानव परिवार के हिस्से के रूप में साझा आध्यात्मिक बंधन राष्ट्रीयता, लिंग, धर्म, पेशे या अन्य पहचानों से अधिक प्रमुख है जो हमें अलग करते हैं।
रवि शंकर के विचार में-
“हिंसा मुक्त समाज, रोग मुक्त शरीर, मुक्त सांस, भ्रम मुक्त मन, अवरोध मुक्त बुद्धि, आघात मुक्त स्मृति, और दुख मुक्त आत्मा हर इंसान का जन्मजात अधिकार है”
उनके अनुसार, विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों संगत हैं। सवाल यह है, “मैं कौन हूँ?”यह आध्यात्मिकता की ओर जाता है; सवाल, “यह क्या है ?” विज्ञान की ओर जाता है। इस बात पर जोर देते हुये कि खुशी केवल वर्तमान क्षण में ही उपलब्ध है, उनका कहना है – आध्यात्म दुनिया को तनाव और हिंसा से मुक्त करता है।
वह श्वास को शरीर और दिमाग के बीच की एक कड़ी के रूप में देखते है, जिससे मन को शांति मिलती है। आध्यात्मिक अभ्यास दूसरों की सेवा करने के महत्व पर जोर देता है। उनके विचार में, “सत्य रैखिक के बजाय गोलाकार है।
गुरुदेव कहते है-
प्यार वह है जिसे आप पूरी तरह से व्यक्त या छुपा नहीं सकते हैं। सौंदर्य वह है जिसे आप किसी दूसरे को न दे सकते और न त्याग सकते हैं। सत्य वह है जिसे आप टाल नहीं सकते है।
सुदर्शन क्रिया Sudarshan Kriya
हम अपने जन्म के साथ पहला काम करते है वह है श्वास लेना। इस श्वास में जीवन के अनकहे रहस्य छिपे हुये है। सुदर्शन क्रिया एक सरल और एक श्वास-आधारित तकनीक है जो कि आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स का मुख्य घटक है। यह एक लयबद्ध और शक्तिशाली तकनीक है, इस तकनिक के प्रयोग से हम प्राकृतिक श्वांस के लयों के प्रयोग से अपने मन शरीर और भावनाओं और मन को एक तालबद्ध कर सकते है।
यह तकनीक थकान, तनाव और क्रोध, निराशा,अवसाद जैसे नकारात्मक भावों से हमारे मन और शरीर को मुक्त कर शांत व एकाग्र मन प्रदान करती है। जिससे हमारे शरीर को एक गहरा विश्राम मिलता है।
सुदर्शन क्रिया जीवन को एक गहराई में ले जाती है, जीवन के रहस्यों से हमें उजागर कराती है। यह अध्यात्मिक खोज है, जो हमें अनंत की एक रोशनी प्रदान करती है। सुदर्शन क्रिया शांति ,स्वास्थ्य, प्रसन्नता, और जीवन के अनभिज्ञ ज्ञान का एक अज्ञात रहस्य है!
“आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के आघात राहत कार्यक्रमों का आधारशिला” है। इसमें उज्जयी श्वास और भस्त्रिका में वज्रसना में सुखासन में लयबद्ध श्वास शामिल है और सुखासन में लयबद्ध श्वास शामिल है।
“सुदर्शन क्रिया के बाद लोग बहुत शुद्धता, शांति और अपने आप को पूर्णतः महसूस करते हैं क्योंकि हमारी चेतना जो बाहर के तत्व में जकड़ी हुई होती हैं, वह उससे मुक्त हो जाती है। यही शुद्धता की अनुभूति हैं ।”
“आपको अपने अंदर की सफाई करने के लिए सफाई की आवश्यता होती है जिस प्रकार निंद्रा में आपको थकान से आराम मिलता है, परन्तु फिर भी तनाव शरीर में रह जाते हैं तब सुदर्शन क्रिया आपके शरीर को अंदर से साफ करती है अतः हम कह सकते है हमारी साँस में कई रहस्य छुपे हुये है ।”
Image Source – Flickr(Richter Frank)