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सिकंदर लोदी का इतिहास Sikandar Lodi History in Hindi

Moral Stories
11 Min Read
सिकंदर लोदी का इतिहास Sikandar Lodi History in Hindi
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इस लेख में लोदी वंश के दुसरे शासक सिकंदर लोदी का इतिहास (Sikandar Lodi History in Hindi) और साथ ही उसके द्वारा किये गए अच्छे और बुरे कार्यकाल, मकबरे की चर्चा करेंगे। सिकंदर लोदी के शासन काल में प्रजा का क्या हाल था ? क्या सिकंदर लोदी भी असहिष्णु शासक था ? कुछ ऐसे ही रोचक जानकारियों को आप इस अनुच्छेद में ढ़ेंगे।

Contents
सिकंदर लोदी का जन्म और प्रारंभिक जीवन Early Life of Sikandar Lodi in Hindiसिकंदर लोदी का प्रारंभिक कार्य काल Early works by Sikandar Lodi in Hindiसिकंदर लोदी का मध्य शासनकाल और विस्तार Sikandar Lodi’s reign and expansion in Hindiसिकंदर लोदी के कुछ अच्छे और बुरे काम Some good and bad works by Sikandar Lodi in Hindiसिकंदर लोदी के द्वारा किये गए अच्छे कार्यसिकंदर लोदी द्वारा किये गए बुरे कार्यसिकंदर लोदी का मकबरा Tomb of Sikandar Lodi details in Hindiसिकंदर लोदी का अंत समय और मृत्यु The fall and death of Sikandar Lodi in Hindiइब्राहीम लोदी और सिकंदर लोदी का इतिहास Ibrahim Lodi and Sikandar Lodi History in Hindi

तो दोस्तों ! आइये जानते हैं सिकंदर लोदी के इतिहास (Sikandar Lodi History in Hindi) के बारे में।

सिकंदर लोदी का जन्म और प्रारंभिक जीवन Early Life of Sikandar Lodi in Hindi

सिकंदर लोदी का जन्म 17 जुलाई, 1458 को दिल्ली में हुआ था। उसके पिता का नाम बहलोल लोदी और माता का नाम बीबी अम्भा था जो एक हिन्दू महिला थीं । बहलोल लोदी मुग़ल लोदी वंश का पहला शासक था और 21 नवम्बर 1517 को सिकंदर लोदी, लोदी वंश का दूसरा शासक बना।

सिकंदर लोदी के बचपन का नाम निज़ाम खां था और उससे बड़ा उसका भाई बर्बक शाह था। सिकंदर लोदी और बर्बक शाह में बचपन से ही नही बनती थी क्योंकि सिकंदर लोदी का पिता बहलोल लोदी उसके छोटे बेटे निज़ाम खां यानी सिकंदर लोदी को अधिक प्रेम करता था।

सिकंदर लोदी का प्रारंभिक कार्य काल Early works by Sikandar Lodi in Hindi

सिकंदर लोदी यह लोदी वंश का दूसरा शासक था और लोदी वंश का विस्तार करने में सिकंदर लोदी का बहुत अधिक योगदान था। सन 1489 को बहलोल लोदी के मृत्यु के बाद सिकंदर लोदी ने गद्दी संभाली। इस बात से सबसे अधिक दुखी उसका बड़ा भाई बर्बक शाह था जो यह नहीं चाहता था की सिकंदर लोदी गद्दी संभाले।

सिकंदर लोदी का बड़ा भाई बर्बक शाह जौनपुर का राज्यपाल था ऐसा कहा जाता है की सिकंदर के उम्मीदवारी पर मुहर लगने के बाद भी बर्बक शाह ने आपत्ति जताई और खुद को राजा बनाने पर जोर दिया लेकिन सिकंदर लोदी ने अपनी राजनीतिक सूझ-बुझ से सत्ता हासिल की और राज्य में विद्रोह होने से भी बचा लिया।

सिकंदर लोदी का मध्य शासनकाल और विस्तार Sikandar Lodi’s reign and expansion in Hindi

सिकंदर लोदी का शुरुवाती शासनकाल सरल और संतुलित था लेकिन कुछ वक़्त बाद उसके बड़े भाई बर्बक के द्वारा विद्रोह बढ़ने लगा जिससे राज्य में विद्रोहियों की संख्या भी बढ़ने लगी थी। इस विद्रोह के दौरान सिकंदर लोदी ने जौनपुर पर हमला कर दिया और उसे भी अपने अधीन ले लिया साथ ही सभी विरोधियों का क़त्ल करवा दिया।

सिकंदर लोदी ने  ई. सन 1449 में बनारस के पास हुए एक युद्ध में हुसैनशाह शर्की को बुरी तरह हरा दिया और पूरे बिहार को अपने अधीन कर लिया। यह जीत उस वक़्त बहुत बड़ी मानी जाती थी क्योंकि हुशैनशाह बेहद चतुर शासक था साथ ही उसके पास बहुत बड़ी संख्या में सैनिक थे।

सिकंदर लोदी यही नहीं रुका वह तीव्रता से आगे बढ़ता जा रहा था उसने तिरहुत के राजा को हरा कर अपने राज्य में शामिल कर लिया। इसके बाद उसने उस वक़्त के सबसे अधिक मजबूत माने जाने वाले राजपूत राज्यों पर अपना कब्ज़ा कर लिया।

उसके जीत का सिलसिला यही नहीं थमा उसने नरवर, चंदेरी, नागौर, मंदरेल, उत्तरिरि, धौलपुर जैसे बड़े राज्यों को भी अपने अधीन कर लिया।

राजपूतों के तरफ से कोई विद्रोह न हो इसका उसने ख़ास ध्यान रखा। जिसके लिए उसने 1504 ई. में आगरा शहर को बसाया और अपनी राजधानी घोषित की।

सिकंदर लोदी के कुछ अच्छे और बुरे काम Some good and bad works by Sikandar Lodi in Hindi

सिकंदर लोदी के द्वारा किये गए अच्छे कार्य

ऐसा माना जाता है की सिकंदर लोदी एक महान और बहुत विद्वान शासक था जिसके शासन काल में कला और कविताओं का विस्तार हुआ सिकंदर लोदी स्वयं भी नाम बदल कर कवितायेँ लिखा करता था जिसमे अपना उप नाम गुरुलखी लिखा करता था।

सिकंदर लोदी फ़ारसी भाषा भी जानता था और उसने संगीत पर फ़ारसी में लज्जत-ए-सिकंदरशाही नामक एक ग्रन्थ भी लिखा था। सिकंदर लोदी एक कुशल नीतिज्ञ शासक होने के साथ-साथ एक शिक्षित और विद्धान शासक भी था। ऐसा माना जाता है की बड़े-बड़े ज्ञानी विद्वान खुद की सुरक्षा के लिए उसके यहाँ गुहार लगाने जाते थे।

प्रजा की भलाई के लिए भी उसने कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे। सिकंदर लोदी देशी अफगान नवाबों को भी नियंत्रण में रखने में सफलता हासिल की थी।

उस समय शिक्षा का अभाव देखकर उसने मस्जिदों को सरकारी संस्था बनाकर उसमें मुफ्त शिक्षा देने का कानून बनाया। सिकंदर लोदी ने खाद्यान्न पर से चुंगी कर और साथ ही व्यापारिक करो को भी हटा लिया और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सभी व्यापारियों को सहायता और संरक्षण दिया।

सिकंदर लोदी गरीबी से बहुत अधिक आहत होता था इसलिए उसने अपने राज्य में सभी ग़रीबों को मुफ्त भोजन देने के लिए बहुत से केंद्र बनाये और दिल्ली का बहुत अधिक विकास किया।

सिकंदर लोदी द्वारा किये गए बुरे कार्य

सिकंदर लोदी भी अभी अपने पिता की तरह बहुत से विवाह किये लेकिन इतिहासकारों का मानना है की सिकंदर लोदी अपने भोगविलास के लिए सामान्य घरों के युवतियों को अगवा करवा लेता था और इन कार्यों के लिए हिन्दू धर्म को मानने वाले परिवारों को अधिक चुनता था।

इसके पीछे उसका उद्देश्य भय पैदा करना था और इससे बचने के लिए वह इस्लाम को अपनाने का विकल्प रखता था। इस कारण बहुत अधिक संख्या में लोग इस्लाम धर्म को अपना लेते थे।

वह बहुत ही असहिष्णु राजा था और इस्लाम के अलावा और सभी धर्म के अनुयायियों को वह काफ़िर की उपमा देता था। सिकंदर लोदी ने अपने विजय अभियान के दौरान हिंदू धर्म के धौलपुर, चंबेरी, मंदरेल जैसे बड़े मंदिरों को नष्ट कर दिया। सिकंदर लोदी बहुत से छोटे-बड़े मंदिरों को नष्ट उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण करवाता गया।

सिकंदर लोदी इस्लाम में महिलाओं के पीरों और संतों की मजार पर जाने पर रोक लगा रखी थी । उसने मुसलमानों के मुहर्रम मनाने एवं ताजिया निकालने पर भी रोक लगा दी थी। वह खुद की तारीफ़ सुनने का आदि था और गलती से भी अपनी सुंदरता पर कोई टिप्पणी सुनना पसंद नहीं करता था। अपनी सुंदरता बनाये रखने के लिए उसने कभी दाढ़ी नहीं रखता था।

सिकंदर लोदी का मकबरा Tomb of Sikandar Lodi details in Hindi

लोदी गार्डन, नई दिल्ली के सुन्दर पेड़-पौधों के बिच में सिकंदर लोदी का मकबरा स्तिथ है। प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक दक्षिण दिल्ली में रहने वाले खैरपुर गाँव में स्थित है, जो इंडो-इस्लामिक स्थापत्य शैली का एक बेहतरीन प्रदर्शन है, इसलिए इसे दिल्ली में घूमने के लिए सबसे अच्छे विरासत स्थानों में गिना जाता है।

इस मकबरे का निर्माण सिकंदर लोदी के पुत्र इब्राहिम लोदी ने 1517 ई में अपनी मृत्यु के बाद करवाया था। गुंबद की वास्तुकला संरचना ऐसी है कि यह दोमंजिला दिखता है परन्तु है नहीं। इस अभूतपूर्व संरचना में एक उत्थानित आयताकार बरामदे है, जो प्रत्येक तरफ तीन लंबे मेहराबों के साथ स्तिथ है। इनसे सभी कक्ष की ओर रास्ता बना हुआ है। मकबरे को विभिन्न रंगीन टाइलों से सजाया गया है, जबकि इसकी दीवारों पर अलग-अलग विदेशी भाषाएं हैं और मुगल वास्तुशिल्प की उम्दा कारीगरी देखने को मिलता हैं।

इस सुरक्षित परिसर के लिए दक्षिण की ओर मुख वाला प्रवेश द्वार, मुख्य प्रवेश है, जो कि चौकोर मंच पर निर्मित छतरी के आकार के गुंबदों से भरा हुआ है। इन्हें अद्भुत शिल्प कौशल में समरूपता जोड़ने के लिए डिज़ाइन किए गए थे। सिकंदर लोदी का मकबरा भारत का पहला उद्यान मकबरा माना जाता है।

सिकंदर लोदी का अंत समय और मृत्यु The fall and death of Sikandar Lodi in Hindi

सिकंदर लोदी अपने कुशल शासन और नीतियों से लोदी वंश का बहुत अधिक विस्तार किया। जिंदगी के अंतिम पलों में उसे गले की असाध्य रोग ने पकड़ लिया जिसके कारण उसे श्वास की तकलीफ़ होने लगी।  21 नवंबर, ई.सन 1517 में उसने अपने प्राण त्याग दिए ।

सिकंदर लोदी की मौत से उसकी प्रजा को काफी कष्ट हुआ क्योंकि इतने ऐब होने के बाद भी वह गरीबों के लिए मसीहा था। वहीं सिकंदर लोदी की ग्वालियर के किले पर शासन करने की ख्वाहिश उसके जीते जी तो पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद उसके पुत्र इब्राहिम लोदी ने ग्वालियर पर जीत हासिल की।

इब्राहीम लोदी और सिकंदर लोदी का इतिहास Ibrahim Lodi and Sikandar Lodi History in Hindi

सिकंदर लोदी के बाद उसके पुत्र इब्राहीम लोदी ने गद्दी संभाली और इब्राहिम लोदी इस वंश का आखिरी शासक बना क्योंकि इसके बाद मुग़लों ने भारत पर शासन करना प्रारंभ कर दिया। आशा करते हैं आपको सिकंदर लोदी का इतिहास (Sikandar Lodi History in Hindi) से लोदी सलतनत से जुडी कुछ मुख्या जानकारी मिली होगी।

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