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Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

शहीद उधम सिंह जीवनी Shaheed Udham Singh History in Hindi

Moral Stories
8 Min Read
शहीद उधम सिंह जीवनी Shaheed Udham Singh History in Hindi
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शहीद उधम सिंह जीवनी Shaheed Udham Singh History in Hindi

Contents
शहीद उधम सिंह जीवनी Shaheed Udham Singh History in Hindiजन्म और प्रारंभिक जीवनक्रन्तिकारी जीवन की शुरुवातजेलशहीद भगत सिंह के विचारों से प्रेरितलन्दन में उधम सिंह ने लिया जलिवाला हत्याकांड का बदलामृत्युशहीद उधम सिंह 2000 फिल्म Shaheed Udham Singh Movie 2000शहीद उधम सिंह 2000 फिल्म मैं संगीत Music

उधम सिंह Udham Singh एक राष्ट्रवादी भारतीय क्रन्तिकारी थे जिनका भारतीय स्वतंत्रता में ऐतिहासिक योगदान रहा है। 

शहीद उधम सिंह जीवनी Shaheed Udham Singh History in Hindi

जन्म और प्रारंभिक जीवन

उधम सिंह का जन्म शेर सिंह के नाम से 26 दिसम्बर 1899 को सुनम, पटियाला, में हुआ था। उनके पिता का नाम टहल सिंह था और वे पास के एक गाँव उपल्ल रेलवे क्रासिंग के चौकीदार थे।

सात वर्ष की आयु में उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया जिसके कारण उन्होंने अपना बाद का जीवन अपने बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ 24 अक्टूबर 1907 से केंद्रीय खालसा अनाथालय Central Khalsa Orphanage में जीवन व्यतीत किया।

दोनों भाईयों को सिख समुदाय के संस्कार मिले अनाथालय में जिसके कारण उनके नए नाम रखे गए। शेर सिंह का नाम रखा गया उधम सिंह और मुक्त सिंह का नाम रखा गया साधू सिंह। साल 1917 में उधम सिंह के बड़े भाई का देहांत हो गया और वे अकेले पड़ गए।

क्रन्तिकारी जीवन की शुरुवात

उधम सिंह ने अनाथालय 1918 को अपनी मेट्रिक की पढाई के बाद छोड़ दिया। वो 13 अप्रैल 1919 को, उस जलिवाला बाग़ हत्याकांड के दिल दहका देने वाले बैसाखी के दिन में वहीँ मजूद थे।

उसी समय General Reginald Edward Harry Dyer ने बाग़ के एक दरवाज़ा को छोड़ कर सभी दरवाजों को बंद करवा दिया और निहत्थे, साधारण व्यक्तियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी। इस घटना में हजारों लोगों की मौत हो गयी। कई लोगों के शव तो कुए के अन्दर से मिले।

जेल

इस घटना के घुस्से और दुःख की आग के कारण उधम सिंह ने बदला लेने का सोचा। जल्दी ही उन्होंने भारत छोड़ा और वे अमरीका गए। उन्होंने 1920 के शुरुवात में Babbar Akali Movement के बारे में जाना और वे वापस भारत लौट आये।

वो छुपा कर एक पिस्तौल ले कर आये थे जिसके कारण पकडे जाने पर अमृतसर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इसके कारण उन्हें 4 साल की जेल हुई बिना लाइसेंस पिस्तौल रखने के कारण।

जेल से छुटने के बाद इसके बाद वे अपने स्थाई निवास सुनाम में रहने के लिए आये पर वहां के व्रिटिश पुलिस वालों ने उन्हें परेशां किया जिसके कारण वे अमृतसर चले गए। अमृतसर में उधम सिंह ने एक दुकान खोला जिसमें एक पेंटर का बोर्ड लगाया और राम मुहम्मद सिंह आजाद के नाम से रहने लगे Ram Mohammad Singh Azad. उधम सिंह ने यह नाम कुछ इस तरीके से चुना था की इसमें सभी धर्मों के नाम मौजूद थे।

शहीद भगत सिंह के विचारों से प्रेरित

उधम सिंह भगत सिंह के कार्यों और उनके क्रन्तिकारी समूह से बहुत ही प्रभावित हुए थे। 1935 जब वे कश्मीर गए थे, उन्हें भगत सिंह के तस्वीर के साथ पकड़ा गया था। 

उन्हें बिना किसी अपराध के भगत सिंह का सहयोगी मान लिया गया और भगत सिंह को उनका गुरु। उधम सिंह को देश भक्ति गीत गाना बहुत ही अच्छा लगता था और वे राम प्रसाद बिस्मिल के गीतों के बहुत शौक़ीन थे जो क्रांतिकारियों के एक महान कवी थे।

कश्मीर में कुछ महीने रहने के बाद, उधम सिंह ने भारत छोड़ा। 30 के दशक में वे इंग्लैंड गए। उधम सिंह जलियावाला बाग हत्या कांड का बदला लेने का मौका ढूंढ रहे थे। यह मौका बहुत दिन बाद 13 मार्च 1940 को आया।

लन्दन में उधम सिंह ने लिया जलिवाला हत्याकांड का बदला

उस दिन काक्सटन हॉल, लन्दन Caxton Hall, London में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन East India Association और रॉयल सेंट्रल एशियाई सोसाइटी Royal Central Asian Society का मीटिंग था। लगभग शाम 4.30 बजे उधम सिंह ने पिस्तौल से 5-6 गोलियां सर माइकल ओ द्व्येर  Sir Michael O’Dwyer पर फायर किया और वहीँ उसकी मौत हो गयी।

इस गोलीबारी के समय भारत के राज्य सचिव को भी Secretary of State for India चोट लग गयी जो इस सभा के प्रेसिडेंट President थे। सबसे बड़ी बात तो यह थी की उधम सिंह को यह करने का कोई भी डर नहीं था। वे वहां से भागे भी नहीं बस उनके मुख से यह बात निकली की – मैंने अपने देश का कर्तव्य पूरा कर दिया।

मृत्यु

1 अप्रैल, 1940, को उधम सिंह को जर्नल डायर Sir Michael O’Dwyer को हत्यारा माना गया। 4 जून 1940 को पूछताच के लिए सेंट्रल क्रिमिनल कोर्ट, पुराणी बरेली Central Criminal Court, Old Bailey में रखा गया था अलाकी उन्हें जस्टिस एटकिंसन Justice Atkinson के फांसी की सजा सुना दी थी।

15 जुलाई 1940 में एक अपील दायर की गयी थी उन्हें फांसी से बचाने के लिए परन्तु उसको खारीच कर दिया गया। 31 जुलाई 1940 को उधम सिंह को लन्दन के Pentonville जेल में फांसी लगा दिया गया।

उनकी एक आखरी इच्छा थी की उनके अस्थियों को उनके देश भेज दिया जाये पर यह नहीं किया गया। 1975 में भारत सरकार, पंजाब सरकार के साथ मिलकर उधम सिंह के अस्थियों को लाने में सफल हुई। उनको स्राधांजलि देने के लिए लाखों लोग जमा हुए थे।

शहीद उधम सिंह 2000 फिल्म Shaheed Udham Singh Movie 2000

उधम
सिंह के वीरता और बलिदान पर आधारित वर्ष 2000 में एक फिल्म भी बनाई
गयी थी।

शहीद उधम सिंह 2000 फिल्म
के मुख्य कलाकार
Cast 

  • राज
    बब्बर – उधम सिंह Raj
    Babbar as Udham Singh
  • गुरदास
    मान – भगत सिंह Gurdas
    Maan as Bhagat Singh
  • शत्रुघ्न
    सिन्हा – मुहम्मद खान  Shatrughan Sinha as Mohammed Khan
  • अमरीश
    पूरी – सूफी संत Amrish
    Puri as The Sufi Saint
  • जूही
    चावला – नूर जेहन Juhi
    Chawla as Noor Jehan
  • रंजीत
    – ज्ञानी जी Ranjeet
    as Gyani Ji
  • टॉम
    आल्टर – जनरल हैरी डायर Tom Alter as Brig. Gen. Edward Harry Dyer
  • जोसफ
    लांब – विंस्टन चर्चिल Joseph Lamb as Winston Churchill
  • डेभ
    एंडरसन – ओ. ड्वेर Dave
    Anderson as O’Dwyer
  • जॉन
    बैरी – माइकल अटलीJohn
    Barry as Michael Atlee
  • चर्लीन
    कार्सवेल – इरेने रोज पामर Charleen Carswell as Irene Rose Palmer
  • अमरदीप
    झा – उधम की मामी (चेतना)Amardeep Jha as Udham’s Maami (as Chetana)

शहीद उधम सिंह 2000 फिल्म
मैं संगीत
Music

  • गीत जाट – “दुर्गा रंगीला” Song “Zaat” sung by Durga Rangila
  • कुछ गीत “गुरदास मनन” द्वारा Some songs by Gurdas Mann

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