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सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय Sarojini Naidu Biography in Hindi

Moral Stories
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सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय Sarojini Naidu Biography in Hindi
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सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय Sarojini Naidu Biography in Hindi

Contents
सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय Sarojini Naidu Biography in Hindiप्रारंभिक जीवन और शिक्षा Early Life and Educationकविताएं Poetryकुछ आंदोलन Some movementsबाद का जीवन और मृत्यु Personal life and Death

सरोजिनी नायडू; चट्टोपाध्याय आधुनिक भारत की स्वतंत्रता सेनानी और कवित्री थी। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही है और बाद में उन्हें संयुक्त प्रांत का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। उनको भारत की कोकिला के रूप में जाना जाता है और वह भारत के उत्तरप्रदेश राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला थी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी एक सक्रिय सहभागिता रही।

सरोजिनी नायडू ने राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल होकर गांधी जी का आह्वान भी किया और उनके साथ लोकप्रिय नमक मार्च में भी सहयोग किया। सरोजिनी की बेटी पद्मजा भी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुईं और भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा भी रही। भारतीय स्वतंत्रता के तुरंत बाद उन्हें पश्चिम बंगाल राज्य का गवर्नर नियुक्त कर दिया गया।

सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय Sarojini Naidu Biography in Hindi

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा Early Life and Education

सरोजीनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 में हैदराबाद में एक बंगाली हिंदू परिवार में हुआ था। उनके माता पिता का घर बिक्रमपुर में था, जो आज बांग्लादेश में आता है, उनके पिता का नाम अघोरनाथ और माँ का नाम बरदा सुंदरी देवी था।

उनकी माँ भी एक कवित्री थी। वह बंगाली भाषा में ही लिखा करती थी। सरोजिनी के भाई वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय, एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने बर्लिन समिति की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

1937 में उन्हें रूसी सैनिकों द्वारा कथित तौर पर मार दिया गया था। सरोजिनी के दूसरे भाई हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध कवि और नाटककार थे। सरोजिनी नायडू के बच्चों का नाम जयसूर्या, पद्मजा, रंधीर और लैलामणी था। जब सरोजिनी कॉलेज में थी तब  उनकी मुलाकात डॉ. गोविंदराजुलु नायडू से हुई थी, जो कि एक चिकित्सक थे और दोनों को उनके कॉलेज की पढाई खत्म हो गई तब उन्होंने बताया कि वह एक दूसरे को पसंद करने लगे है।

19 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने पर बाद उन्होंने 1898 में उनसे शादी कर ली, जबकि तब अंतरजातीय विवाह उस समय बहुत कम हुआ करते थे और तब ऐसा विवाह भारतीय समाज में अपराध माना जाता था। बहरहाल, युगल के सफल विवाह ने लोगों को अपने निजी जीवन में हस्तक्षेप करने से रोक दिया और दोनों परिवार ने अनुमति दे दी।

उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और महात्मा गांधी की अनुयायी बन गयी और स्वराज की प्राप्ति के लिए लड़ाई लड़ी। एक शानदार छात्रा सरोजिनी को महज 12वीं में मद्रास विश्वविद्यालय में चयन किया गया जहाँ उन्हें प्रशंसा और प्रसिद्धि दोनों मिली।

1895 में, उन्होंने लंदन में किंग्स कॉलेज और बाद में कैरब्रिज यूनिवर्सिटी के गिरटन कॉलेज में अध्ययन किया। कॉलेज के दौरान भी उनका कविता पढ़ने और लिखने की पसंद और जुनून विकसित होता रहा, साथ ही जहां वह उर्दू, अंग्रेजी, फारसी, तेलगू और बंगाली सहित कई भाषाओं में कुशल बन गई।

कविताएं Poetry

वह एक प्रसिद्ध कवित्री भी थीं। उनकी कविता में बच्चों की कविताओं, प्रकृति कविताओं, देशभक्ति कविताओं और प्यार और मृत्यु की कविताएं शामिल हैं। वह एक विख्यात बाल कौतुक थी और बच्चों के साहित्य की स्वामी थी। सरोजिनी नायडू को उनकी खूबसूरत कविताओं और गीतों के कारण भारत कोकिला (भारतीयों की नाइटिंगेल) के रूप में सम्मानित किया गया था।

उनकी सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में से कुछ ने उनको एक शक्तिशाली लेखिका बना दिया, जिसमें द गोल्डन थ्रेसहोल्ड, द गिफ्ट ऑफ़ इंडिया, और द ब्रोकन विंग शामिल हैं। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के रूप में योगदान दिया हैं। उनकी अन्य प्रशंसित कविताऐ जो निम्नलिखित हैं: द जादूगर मास्क और ए ट्रेजरी, द मैजिक ट्री एंड द गिफ्ट ऑफ इंडिया आदि उनके द्वारा लिखित कवितायें हैं।

उनकी कविताओं के सुंदर और लयबद्ध शब्दों के कारण उन्हें भी भारत कोकिला का नाम दिया गया था, इन कविताओं के लययुक्त होने के कारण इन्हें गाया भी जा सकता है। उनकी बेटी ने 1961 में, द फदर ऑफ़ द डॉन नामक कविताओं का एक संग्रह प्रकाशित किया।

कुछ आंदोलन Some movements

सरोजिनी नायडू के पास उनकी बहुत सी उपलब्धियां है, जिसमें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उल्लेखनीय योगदान शामिल है। 1905 में वे बंगाल विभाजन के आंदोलन में शामिल हुई और तब  वे इस कारण अपनी प्रतिबद्धता के लिए फंस गयी।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए काम करते समय उन्हें कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व जैसे मुहम्मद अली जिन्ना, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के साथ आगे बढ़ने का मौका मिला, जिनके साथ उन्होंने एक विशेष बंधन और एक बहुत अच्छा संबंध साझा किया था।

1915-1918 के दौरान, उन्होंने भारत भर में सामाजिक कल्याण, महिला सशक्तिकरण मुक्ति और राष्ट्रवाद पर व्याख्यान दिया। जवाहरलाल नेहरू से प्रेरित होकर उन्होंने चंपारण में इंडिगो कर्मचारियों के लिए सहायता प्रदान करने का काम शुरू कर दिया, जो हिंसा और उत्पीड़न के अधीन था। 1925 में, नायडू को राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिससे वे पद धारण करने वाली पहली भारतीय महिलाएं बन गईं।

1919 में रोलेट अधिनियम की शुरूआत के साथ सरोजिनी संगठित असहयोग आंदोलन में शामिल हो गयी। उसी वर्ष, उन्हें इंग्लैंड में होम रूल लीग के राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था। 1924 में, वह पूर्वी अफ्रीकी भारतीय कांग्रेस की प्रतिनिधि भी बन गयी।

बाद का जीवन और मृत्यु Personal life and Death

अपने आखिरी वर्षों में, सरोजिनी नायडू  ने स्वतंत्र रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और वे 1931 में आयोजित गोलमेज शिखर सम्मेलन का भी वह एक महतवपूर्ण हिस्सा थी। 1942 में, उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के कारण  महात्मा गांधी के साथ गिरफ्तार किया गया था और लगभग 2 साल बाद जेल से रिहा होने के बाद, उन्होंने एशियाई संबंध सम्मेलन में संचालन समिति की अध्यक्षता की।

1947 में भारत की आज़ादी के साथ, सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनी। 2 मार्च 1949 को अपने कार्यालय में काम करते हुए उनको दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु गई। गोमती नदी पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

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