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मुग़ल साम्राज्य Mughal Empire Family Tree, Timeline, Map in Hindi

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10 Min Read
मुग़ल साम्राज्य Mughal Empire Family Tree, Timeline, Map in Hindi
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मुग़ल साम्राज्य Mughal Empire Family Tree, Timeline, Map in Hindi इस आर्टिकल में हम आपको मुग़ल साम्राज्य के शासक, युद्ध, पतन, विस्तार के बारे में पूरी जानकारी। क्या आप मुग़ल साम्राज्य के शुरू से अंत तक की जानकारी चाहते हैं?

Contents
मुग़ल साम्राज्य Mughal Empire Family Tree, Timeline, Map in Hindiबाबरनसीरुद्दीन मोहम्मद हुमायूँजलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाही गाजीसलीम / नूरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीरशाहजहाँऔरंगजेबबहादुर शाह जफर प्रथमअन्य मुग़ल शासकमुग़ल साम्राज्य का अंत

मुग़ल साम्राज्य Mughal Empire Family Tree, Timeline, Map in Hindi

बाबर

मुग़ल साम्राज्य की स्थापना सन् 1526 ई. में बाबर ने की थी। बाबर तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूर वंश का शासक था। बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध मे दिल्ली सल्तनत के लोदी वंश के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी थी।

मुग़ल वंश के शासकों ने 17वीं शताब्दी के अंत से लेकर 19वीं शताब्दी के मध्य तक भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया था। मुग़ल वंश के संस्थापक बाबर ने 1530 ई. तक भारत पर राज्य किया था। पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार तुग़लमा युद्ध नीति के साथ साथ तोपखाने का प्रयोग किया था।

बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण मेवाड़ के शासक राणा साँगा तथा पंजाब के शासक दौलत ख़ाँ लोदी ने दिया था। जिसके बाद बाबर ने पहली बार सन् 1519 ई. में यूसुफ जाई जाति के खिलाफ भारत पर आक्रमण करके झेलम नदी के तट पर स्थित बाजौर तथा भेरा को अपने अधीन कर लिया।  

इसके बाद बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया। बाबर ने भारत में अपने साम्राज्य विस्तार के लिए पानीपत का प्रथम युद्ध, खानवा का युद्ध, चन्देरी का युद्ध तथा घाघरा का युद्ध लड़ा, जिसमे वो विजयी हुआ। बाबर की मृत्यु 27 दिसम्बर सन् 1530 को आगरा में हो गयी।

नसीरुद्दीन मोहम्मद हुमायूँ

बाबर की मृत्यु के बाद इसका सबसे बड़ा पुत्र, जिसका पूरा नाम नसीरुद्दीन मोहम्मद हुमायूँ था, 29 दिसम्बर सन् 1530 को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। चौसा का युद्ध (1539 ई.) तथा बिलग्राम के युद्ध (1540 ई.) में शेरशाह सूरी से पराजित होने के बाद हुमायूँ ने 15 वर्षो तक घुमक्कडों जैसा निर्वासित जीवन व्यतीत किया।

इसके बाद सन् 1555 ई. सरहिंद के युद्ध में अफगानों को पूरी तरह से पराजित करके हुमायूँ पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठा और लगभग 6 महीनों तक शासन किया। अपने इस शासनकाल के दौरान ही सन् 1556 ई. में दीं पनाह भवन में स्थित पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरने के कारण इसकी मृत्यु हो गयी।

जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाही गाजी

हुमायूँ की मृत्यु के बाद इसके पुत्र ने जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाही गाजी की उपाधि से, 14 फरवरी सन् 1556 ई. को मात्र 13 वर्ष की अवस्था मे मुग़ल साम्राज्य की बागडोर संभाली। अकबर का राज्याभिषेक बैरमखाँ ने अपने संरक्षण में कलानौर के किले में कराया था।

मुग़ल साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार अकबर के शासन काल मे ही हुआ था। अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए अबकर ने सर्वाधिक युद्ध लड़े थे।

साम्राज्य विस्तार के साथ साथ अकबर ने स्थापत्य कला के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किये थे। स्थापत्य कला के विकास के लिए अकबर ने दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा, आगरा का लाल किला, फतेहपुर सिकरी में शाhttps://www.1hindi.com/history-of-fatehpur-sikri-in-hindi/ही महल, दीवाने खास,पंचमहल, बुलंद दरवाजा, जोधाबाई का महल, इबादत खाना, इलाहाबाद का किला तथा लाहौर का किला आदि जैसी खूबसूरत इमारतों का भी निर्माण कराया।

स्थापत्य कला के विकास के साथ ही साथ अकबर के शासनकाल में हिंदी साहित्य के विकास के लिए भी अनेक कार्य किए गए जिसके लिए अकबर के शासन काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण काल कहा जाता है। अकबर ने अपने शासनकाल में मनसबदारी प्रथा का भी प्रारंभ किया था। अकबर ने अपने दरबार मे नौरत्नों को भी जगह दी जो विभिन्न क्षेत्रो के महारथी थे।

इसके साथ ही साथ सन् 1562 ई. में अकबर ने दास प्रथा का अंत कर दिया। इसके बाद सन् 1569 ई. में जजिया कर को भी समाप्त कर दिया। अकबर ने 1582 ई. में दीन-ए-इलाही नामक नये धार्मिक सिद्धांत की भी घोषणा की थी।

सलीम / नूरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर

अकबर के बाद मुग़ल साम्राज्य का उत्तराधिकारी उसका पुत्र सलीम हुआ। जो 03 नवम्बर सन् 1605 ई0 को ‘नूरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर, बादशाही गाजी’ की उपाधि को धारण करके दिल्ली की गद्दी पर बैठा।

जहाँगीर के दरबार में आगा रजा, अबुल हसन, मोहम्मद नासिर, मोहम्मद मुराद, उस्ताद मनसूर जैसे प्रमुख चित्रकार थे। मुग़ल काल की चित्रकला जहाँगीर के शासनकाल में अपने चरमोत्कर्ष पर थी।

इसीलिए जहाँगीर के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है। मुग़ल काल में जहाँगीर को न्याय की जंजीर के लिए याद किया जाता है। जहाँगीर की मृत्यु 7 नवंबर सन् 1627 ई. को ‘भीमवाल’ नामक स्थान पर हो गई थी।

शाहजहाँ

जहाँगीर के बाद 24 फरवरी सन् 1628 ई. को आगरे में ‘अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी’ की उपाधि प्राप्त कर शाहजहाँ सिंहासन पर बैठा। मुग़ल काल की सर्वाधिक इमारतों का निर्माण शाहजहाँ के शासनकाल में ही कराया गया था।

स्थापत्य कला का प्रेमी होने के कारण शाहजहाँ ने दिल्ली में लाल किला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली जामा मस्जिद, तथा आगरा में मोती मस्जिद और अपनी बेगम मुमताज महल की याद में ताजमहल आदि, जैसी खूबसूरत इमारतों का निर्माण करवाया था।

शाहजहाँ ने मयूर सिंहासन का भी निर्माण करवाया था। शाहजहाँ के काल में सर्वाधिक इमारतों के निर्माण के कारण ही इसके शासन काल को स्थापत्य कला का स्वर्ण युग कहा जाता है।

औरंगजेब

सन् 1657 ई. में शाहजहाँ के पुत्रों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध प्रारंभ हो गया। जिसके बाद सन् 1658 ई. में औरंगजेब ने अपने पिता यानी कि शाहजहाँ को बंदी बनाकर आगरे के किले में कैद कर दिया। लगभग 8 वर्षों तक कैद में रहने के बाद 31 जनवरी सन् 1666 ई. को शाहजहाँ की मृत्यु आगरे के किले में हो गई।

शाहजहाँ की मृत्यु के बाद औरंगजेब ने आगरा पर कब्जा कर के, जल्दबाजी में ‘अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मुजफ्फर औरंगजेब बहादुर आलमगीर’ की उपाधि से 31 जुलाई सन् 1658 को अपना राज्याभिषेक कराया।

15 मई सन् 1659 ई. को देवराई के युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद औरंगजेब ने दिल्ली में प्रवेश किया और वहीं पर शाहजहाँ के महल में ही जून 1659 ई. को दूसरी बार अपना राज्य अभिषेक करवाया। औरंगज़ेब ने कुरान को आधार बना कर दिल्ली सल्तनत में हुकूमत की थी।

इसने अपने शासनकाल में प्रचलित सिक्कों पर कलमा खुलवाया था। औरंगज़ेब ने अपने शासन काल के दौरान नवरोज त्योहार मनाना, भांग की खेती करना, गाना बजाना, झरोखा दर्शन, तुलादान, जैसी अनेक प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। तथा इसके साथ ही गैर मुस्लिम समुदाय पर जजिया कर फिर से लगा दिया। औरंगजेब की मृत्यु 4 मार्च सन् 1707 ई. को हो गयी।

बहादुर शाह जफर प्रथम

औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य की बागडोर बहादुर शाह जफर प्रथम ने संभाली। जिसे शाह आलम प्रथम के नाम से भी जाना जाता है।

अन्य मुग़ल शासक

शाह आलम प्रथम के बाद फुर्रूखसियर, निकुसियर, मोहम्मद इब्राहिम, अहमद शाह बहादुर, आलमगीर द्वितीय तथा शाहजहाँ तृतीय इसके साथ ही मुग़ल साम्राज्य का सूरज जो पूरे भरतीय उपमहाद्वीप को प्रकाशित किये हुए था अब इसकी रोशनी धीरे धीरे कम होने लगी थी।

शाहआलम प्रथम के बाद फुर्रूखसियर, निकुसियर, मोहम्मद इब्राहिम, अहमद शाह बहादुर, आलमगीर द्वितीय तथा शाहजहाँ तृतीय जैसे अनेक शासको ने बहुत ही कम समय के लिए मुग़ल साम्राज्य की गद्दी पर बैठकर शासन किया। परन्तु ये शासक मुग़ल साम्राज्य के योग्य उत्तराधिकारी नही थे।

मुग़ल साम्राज्य का अंत

भारत मे ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद अब ये शासक केवल नाम मात्र के ही शासक रह गए थे।मुग़ल साम्रज्य का अंतिम शासक बहादुर शाह जफर हुआ। जिसने भारत की स्वतंत्रता की सन् 1857 की क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

जिसके लिए अंग्रेजों ने उसे बन्दी बनाकर रंगून भेज दिया था और इसके पूरे खानदान को मरवा दिया था। 7 नवम्बर सन् 1862 ई. को रंगून में ही बहादुर शाह जफर की मृत्यु हो गयी। इसकी मृत्यु के साथ ही मुगल साम्राज्य का पूरी तह से अंत हो गया।

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