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जमशेदजी टाटा जी की जीवनी Jamsetji Tata Biography in Hindi

Moral Stories
8 Min Read
जमशेदजी टाटा जी की जीवनी Jamsetji Tata Biography in Hindi
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जमशेदजी टाटा जी की जीवनी Jamsetji Tata Biography in Hindi

Contents
जमशेदजी टाटा जी की जीवनी Jamsetji Tata Biography in Hindiआरंभिक जीवनउधोग का आरम्भताज होटल का निर्माणइंग्लॅण्ड की यात्रामृत्यु

जमशेद टाटा भारत के प्रसिद्ध  उद्योगपति तथा औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेद जी ने जो योगदान दिया है बहुत ही महत्वपूर्ण और सराहनीय था। जमशेद जी ने उस  वक्त औद्योगिक विकास का मार्ग चुना जब सिर्फ अंग्रेज ही उद्योग के बारे में ज्यादा जानते थे।

जमशेद जी ने  ऐसे भारत का सपना देखा। माना जाता है की जमशेद जी ने टाटा साम्राज्य नीव डाली इंडिया में, और इसी लिए शायद इनको टाटा के साम्राज्य का संस्थापक कहा जाता है। इन्होंने भारत में जो औधोगिकीकरण का सपना देखा था उसको पूरा किया और तकनिकी और विज्ञान के साथ साथ इन्होने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया।

जमशेदजी टाटा जी की जीवनी Jamsetji Tata Biography in Hindi

आरंभिक जीवन

 जमशेद जी का पूरा नाम जमशेद नुसीरवानजी टाटा था। इनका जन्म 3 मार्च 1939 में दक्षिणी गुजरात के एक नवसारी पारसी परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम नुसीरवनजी और माता का नाम जीवनबाई टाटा था।

जमशेद जी के यहाँ खानदानी व्यवसाय का रिवाज था, इनके पिता जी एक व्यावसायिक थे। जमशेद जी जब 14 साल ले थे तभी ये अपने पिता जी के साथ बम्बई चले आये और इन्होने व्यवसाय में अपना कदम रखा।  

कम उम्र के होंने के बावजूद ये अपने पिता का हाथ बटाते थे और  17 साल के होने पर जमशेद जी बम्बई के “एल्फ्रिसटन कॉलेज” में दाखिला लिया। दो साल के बाद इन्होने 1858 में  ग्रीन स्कॉलर के रूप में उत्तीर्ण किया यानी दुसरे शब्दों में इसको स्नातक भी कह सकते है।

अपनी पढाई पूरी करने के बाद ये पूरी तरह से अपने पिता के व्यवसाय को देखने लगे। इसके पश्चात् इनका विवाह बाई दबू के साथ हो गया।

पढाई पूरी करने के कुछ समय बाद इन्होने अपने पिता का व्यवसाय छोड़ कर एक वकील के साथ काम करने लगे और कुछ समय काम करने के बाद जब इनका मन वकील के काम में नही लगा तो ये फिर वापस आपने पिता की कंपनी के मदत करने लगे। जमशेद जी को व्यवसाय में ज्यादा रूचि होने के कारण इन्होने बहुत जल्दी ही व्यवसाय के मास्टर बन गए।

ऐसा इसलिए था क्योकि इन्होने काम के बारीकियों को समझा और अपनी मेहनत और कर्मठता से व्यवसाय में माहिरता हासिल कर ली। इनके लगन और काम को देखकर नुसीरवानजी बहुत खुश हुए। इनका व्यापार दिये धीरे बढ़ रहा था और फिर इन्होने अपने व्यवसाय को देश के बाहर फैलाने के बारे में सोचा और इसी काम को पूरा करने के लिए जमशेद जी को चीन जाना पड़ा।  

जमशेद जी हांगकांग और शंघाई जैसे बड़े शहरो में अपने ब्रांच खोले और वही रह कर अपने व्यापार को आगे बढाया और साथ में इन्होने वही रहकर अर्थशास्त्र की पढाई भी की।

चीन के बाद जमशेद जी लन्दन गए वह भी इन्होने अपने व्यापार का काम शुरू किया, यहाँ इन्होंने सूती वस्त्रो का काम शुरू किया, इन्होने मैनचेस्टर नगरो की यात्रा की जोकि वस्त्रो के लिए बहुत प्रसिद्ध माना जाता। इन्होने यहाँ वस्त्रो से सम्बंधित समस्याओं का अध्यन किया।

उधोग का आरम्भ

29 वर्ष की आयु तक जमशेद जी ने अपने पिता के साथ व्यवसाय किया 1868 में पहली बार इन्होने खुद के लिए 21000 के साथ अपना पहला बिजनेस शुरू किया। जमशेद जी सबसे पहले एक दिवालिया तेल के कारखाने को खरीदा और उसको एक रूई के कारखाने में बदल दिया और उसका नाम एलेक्जेंडर मील ( Alexender Mill) रखा।

दो साल के बाद जमशेद जी इस मिल को अच्छे खासे मुनाफे में बेच दिया और उसी पैसे इन्होने नागपुर में एक दूसरा रूई की मिल लगे और इसका नाम इम्प्रेस्स मिल ( Empress Mill) रखा।  Empress का अर्थ होता है महारानी। उस समय महारानी विक्टोरिया ने भारत की रानी का ख़िताब जीता था उसी से प्रेरित होकर इन्होने अपने कंपनी का नाम Empress Mill रख दिया।

जमशेद जी भारत के एक महान व्यापारी थे, इन्होने इस्पात कारखानों की स्थापना की योजना बनाई। इन्होने ऐसे जगहों पर अपना कारखाना खोला जहाँ उनको कोयला और पानी की सुविधा मिल सके। जमशेद जी ने बिहार के जंगलो में सिंहभूमि जिले के वह स्थान खोज निकली। इन्होने उसके अलावा पश्चिमी घाटो पर बिजली उत्पन करने के लिए एक विशाल उधोग की नीव डाली।

ताज होटल का निर्माण

भारत का प्रसिद्ध ताज होटल केवल मुंबई में ही नही बल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। ताज होटल के बनने के पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी छुपी हुई है। बात उन दिनों की है जब भारत आजाद नही हुआ था और सिनेमा घरो की शुरुआत हुई थी और पहली फिल्म मुंबई में लगी हुई थी, जिस होटल में फिल्मे लगी हुई थी उस होटल का नाम वाटसन होटल था।

वहां केवल ब्रिटिशो को ही आमंत्रित किया गया था और उस होटल के बाहर एक बोर्ड भी लगा हुआ था जिसमे लिखा हुआ था “भारतीय और कुत्ते अंदर नही आ सकते है”। चूकी भारत में फिल्मे पहली बार लगी थी इसीलिए जमशेद जी भी देखना चाहते थे लेकिन उनको प्रवेश नही मिला सका।

शायद ये बात का जमशेद जी को बहुत बुरा लगा और उन्होंने दो साल के अन्दर ही वाटसन होटल को की सुन्दरता को पीछे छोड़ते हुए 1903 में ताज होटल का निर्माण करवा दिया। ताज होटल के बाहर एक बोर्ड लगवाया उसमे लिखा था “अंग्रेज और बिल्लियाँ अंदर नही जा सकते”। ये इमारत बिजली की रोशनी वाली पहली इमारत थी। आज भी ताज होटल की तुलना संसार के सबसे सर्वश्रेष्ट होटलों में किया जाता है।

इंग्लॅण्ड की यात्रा

इंग्लैड की प्रथम यात्रा से लौटकर इन्होंने चिंचपोकली के एक तेल मिल को कताई-बुनाई मिल में बदल कर औधोगिक जीवन का शुरुआत किया। किन्तु अपनी इस सफलता से उन्हें पूर्ण सन्तोष नही  मिला। पुन: इंग्लैंड की यात्रा की। वहाँ लंकाशायर से बारीक वस्त्र की उत्पादन विधि और उसके लिए उपयुक्त जलवायु का अध्ययन किया।

भारत आकर उन्होंने अपने व्यापार को आगे बढाया और यहाँ उन्होंने इस्पात का कारखाना लाया और इसके साथ ही जल विधुत परियोजना भी शुरू की। इसकी शुरुआत दिसंबर 1903 में की। जिससे मुंबई में विधुत की पूर्ति हो सके।

मृत्यु

जमशेद जी ने भारत में औधोगिक विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है और इन्होने अपने जीवन में मेहनत और अपनी क़ाबलियत से बहुत कुछ हासिल किया। जमशेद जी अपनी आशाओं के प्रतिकूल 65 साल की अवस्था में 19 मई सन 1904 में इनका देहान्त हो गया।

Featured Image Source – www.tata.com

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