इस अनुच्छेद मे हमने राजीव गांधी पर निबंध Essay on Rajiv Gandhi in Hindi लिखा है। यह लेख 800 शब्दों मे लिखा गया है। इसमे हमने उनके विषय मे लघु रूप मे बताया है।
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राजीव गांधी पर निबंध Essay on Rajiv Gandhi in Hindi
राजीव गांधी भारत के सबसे बड़े युवा प्रधानमंत्री थे उन्होंने भारतवर्ष को एक नई ऊर्जा और शक्ति प्रदान की है। राजीव गांधी बहुत ही उदार स्वभाव के व्यक्ति थे जो भारत के 7वें प्रधानमंत्री हुए थे। इनके जैसे युवा नेता की वजह से आज पूरा देश कंप्यूटर के युग में आगे आया है और भारत को एक वैज्ञानिक दिशा भी मिली है।
राजीव गांधी का जन्म सन् 20 अगस्त 1944 ई. में मुंबई में हुआ था उनके पिता का नाम फिरोज गांधी एवं माता का नाम श्रीमती इंदिरा गांधी था। राजीव गांधी भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाती थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी से उन्हें राजनीतिक विरासत भी मिली थी जबकि राजनीति में उनकी कोई रुचि नहीं थी लेकिन पारिवारिक वातावरण से बच ना सके।
राजीव गांधी की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली की एक स्कूल शिव निकेतन में हुई थी। सन् 1954 ई. में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव गांधी ने देहरादून के वेल्लम विद्यालय में दाखिला लिया था।
वहां से आईएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सीनियर कैंब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। पढ़ाई खत्म होने के बाद राजीव गांधी ने विमान संचालन का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था।
राजीव गांधी बहुत ही उदार प्रवृति वाले व्यक्ति थे। श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी इनकी कंधे पर आ गई थी जिसकी वजह से इन्हें राजनीति में आना पड़ा था जबकि राजनीति में आने से पहले राजीव गांधी इंडियन एयरलाइंस में एक पायलट थे।
राजीव गांधी बहुत ही सरल स्वभाव के धैर्यवान व्यक्ति थे एवं सहनशील युवा के प्रतिबिम्ब भी माने जाते थे। इनका व्यक्तित्व सज्जनता, मित्रता और प्रगति शीलता का प्रतीक भी माना जाता था।
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सन् 1981 ई. में अमेठी से सांसद का चुनाव जीतकर राजीव गांधी ने सन् 1983 ई. में कांग्रेस पार्टी के महासचिव पद पर सुशोभित हुए थे। 31 अक्टूबर सन् 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री पद के कार्यकारी के रूप में शपथ ग्रहण की थी।
सन् 1985 के चुनाव हुआ जिसमें राजीव गांधी भारी मतों से विजयी भी हुए थे। तथा उनके अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और दोबारा राजीव गांधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में देश के प्रधानमंत्री बने।
राजीव गांधी ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा की मिसाल माने जाते थे। जिनकी वजह से वह जनप्रिय नेता के रूप में भी विख्यात थे। देश के लिए अहम निर्णय में सदैव पार्टी के लोगों से परामर्श लेकर ही करते थे। राजीव गांधी भारत के लिए एक नवीन अनुभव की छवि भी रखते थे। उन्होंने युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए भी कई बदलाव लाए थे।
31 अक्टूबर सन् 1984 ई. को राजीव गांधी की माता इंदिरा गांधी को उनके ही एक सिख् बॉडीगार्ड ने हत्या कर दी थी जिसके तुरंत बाद कांग्रेस के सदस्यों ने मिलकर पूरी बागडोर इनके कंधों पर डाल दी।
सबसे कम उम्र में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त करने वाले राजीव गांधी जी ही थे। जिन्होंने साहसिक कदम उठाकर और ज्वलंत समस्याएं के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाकर अपनी छवि को एक विवेकशील और गतिशील राजनेता के रूप में प्रतिष्ठित किया था।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी राजीव गांधी एक सशक्त और कुशल राजनेता के रूप में भी साबित हुए थे तथा अपने शासनकाल में उन्होंने कई देशों की यात्रा भी की और उन्होंने भारत के राजनैतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध भी बढ़ाए थे। जो देश के विकास में काफी मददगार साबित हुआ था।
राजीव गांधी ने शिक्षा को बढ़ावा दिया था तथा 18 वर्ष के युवाओं को मत अधिकार एवं पंचायती राज में भी शामिल किया था। जिससे सही चुनाव किया जा सके और युवाओं को अपना प्रतिनिधि चुनने का मौका मिले।
देश के युवाओं के रोज़गार में भी बहुत योगदान दिया था। राजीव गांधी ने कई बड़े फैसले भी लिए जिसमें श्रीलंका में शांति सेना भेजना, मिज़ोरम, असम एवं पंजाब समझौता भी शामिल था।
राजीव गांधी देश की युवा शक्ति को बढ़ावा देते थे क्योंकि उनका मानना था कि देश का विकास युवाओं से ही हो सकता है। इसीलिए उन्होंने युवाओं को मत अधिकार दिया।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एक नई गति और दिशा देने के लिए प्रयास किए और देश में पहली बार टेक्नोलॉजी मिशन भी एक संस्थागत रूप से देश में आया। राजीव गांधी ने देश को एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में 21वीं सदी की ओर ले जाने का नारा देकर जनता में एक नई आस जगाई थी।
राजीव गांधी चेन्नई में एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए गए हुए थे जहां एक आत्मघाती हमले में 21 मई सन् 1991 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके निधन से भारत को जो क्षति हुई थी उसकी पूर्ति कभी नहीं हो पायी।
कृतज्ञ भारतवासी देश की प्रगति में उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकते उनका व्यक्तित्व एवं उनकी कार्यप्रणाली सदैव देश की युवा वर्ग का मार्गदर्शन करती रहेगी।
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