जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध Essay on Jallianwala Bagh Massacre in Hindi
हर एक भारतीय के लिए जलियांवाला बाग किसी भी पवित्र और महान जगह से कम नहीं है। यह पंजाब, भारत में स्तिथ है। यह वह महत्वपूर्ण भूमि है जहाँ महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और हजारों निहत्थे साधारण लोगों को कुछ ही क्षण में मौत के घाट उतार दिया गया था। यह भारतीय इतिहास का वह स्थान है जिसकी एतिहासिक कहानी सुनने से लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
तुम्हारे दिल भारत की आज़ादी का इतिहास महान वीरों के बलिदान से भरा हुआ है जिन्होंने जलियांवाला बाग में स्वयं की जीवन को न्योछावर कर दिया। आज उन्हीं महान शहीदों के बलिदान के फल स्वरुप हमारा देश स्वतंत्र है। आज उन्हीं के कारण विश्व में भारत का नाम सर्वोच्च देशों के साथ किया जाता है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध Essay on Jallianwala Bagh Massacre in Hindi
जलियांवाला बाग हत्याकांड का इतिहास Jallianwala Bagh Massacre History in Hindi
जलियांवाला बाग अमृतसर में स्थित है। यह स्थान अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह घटना सन 1919 की है। वह दिन पारंपरिक त्यौहार बैसाखी की पहली तारीख 13 अप्रैल थी।
भारत में हिन्दू लोग इस दिन को एक पवित्र दिन के रूप में मानते हैं। उस दिन जलियांवाला बाग में एक विशाल जलसे का आयोजन किया गया था जहाँ हजारों लोग दूर-दूर से इक्कठा हुए थे। वहां उस दिन हंसराज जी का भाषण सुनने के लिए लगभग 20,000 लोग उपस्थित हुए थे जिसमे ज्यादातर सिख समुदाय के लोग थे।
भाषण प्रारंभ हुआ और लोग ध्यान से भाषण सुन रहे थे। तभी ब्रिटिश जनरल डायर जलियांवाला बाघ पहुंचा और एकाएक उसने सभा को बंद करने का आदेश दिया। जनरल डायर के आदेश से सभी जगह भीड़ में भागदौड़ मच गयी।
जनरल डायर ने सभी दरवाज़ों पर अपने सैनिकों को तैनात करवा दिया जिससे की लोग बहार ना निकल पायें। उस समय जनरल डायर के सैनिकों के पास लगभग 1600 राउंड गोलियां थी।
क्रूर जनरल डायर के ब्रिटिश सैनिकों ने भागते हुए लोगों के ऊपर अंधाधुंध गोलियां बरसाना शुरू कर दिया जिसमे उन्होंने सभी 1600 राउंड गोलियों को लगभग दस मिनट तक चलाया। कई निहत्थे लोग उस जलियांवाला बाग में स्थित एक कुएं में कूद गए।
ब्रिटिश सरकार के अनुसार इस फ़ायरिंग में लगभग 379 लोगों की जान गयी और 1200 लोग जख़्मी हुए परन्तु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अनुसार उस दिन 1000 से ज्यादा लोग शहिद हो गए जिसमे से 120 की लाश कुएं में से मिली थी और 1500 से ज्यादा लोग जख़्मी हुए थे।
जलियांवाला बाग हत्याकांड परिणाम Jallianwala Bagh massacre result
जलियांवाला बाग के इस हत्याकांड में हजारों साधारण भारतीय लोगों की मृत्यु हो गयी। जनरल डायर की योजना थी की इस कुकर्म से भारतवासी दब जायेंगे और डर कर देश की आजादी की लड़ाई से हट जायेंगे। परन्तु जनरल डायर की यह धारणा गलत साबित हुई।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पुरे देश भर में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आग सी भड़क उठी। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भी इस खबर को सुनने के बाद सहन न कर सके। भारत के हर क्षेत्र में आज़ादी की आग भड़क चुकी थी और हर जगह ब्रिटिश शासन के खिलाफ मोर्चे होने लगे। सारा देश ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया।
लोगों के बिच बढ़ते असंतोष के कारण ब्रिटिश सरकार ने एक कमेटी नियुक्त किया जिसका नाम था हंटर कमेटी। इस कमेटी ने भारत के जनता को धोखा दिया और रिपोर्ट को पूरी तरीके से अन्यायपूर्ण तरीके से पेश किया जिसमे कहा गया की जल्लिआंवला बाग हत्याकांड में मात्र 400 लोगों की जान गयी थी।
उनके रिपोर्ट के अनुसार 10 अप्रैल से अमृतसर में मार्शल-लॉ लगा हुआ था जो की पूरी तरीके से झूठ था क्योंकि अमृतसर और लाहौर में मार्शल लॉ 15 अप्रैल को घोषित किया गया था परन्तु यह हादसा तो 13 अप्रैल को हुआ था। कमेटी ने जनरल डायर के इतने क्रूर कार्य करने पर भी उसे बचाने के हर तरीके पेश किये।
जलिंवाला बाग हत्याकांड के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत ने भारत के साधारण लोगों पर बहुत जुल्म उठाया। उन्होंने लगभग 262 लोगों को गिरफ्तार किया जिसमे से 51 लोगों को उन्होंने फांसी, 46 को आजीवन कारावास, 3 को 10 वर्ष की जेल, 76 को 7 वर्ष, 10 को 5 वर्ष की जेल तथा 11 को 3 वर्ष जेल की सज़ा सुने गयी।
ऐसा धोखा होने के बाद देश के बड़े-बड़े नेताओं ने जनरल डायर की कड़ी निंदा की थी। साथ ही महात्मा गाँधी जी ने अपने पत्र ‘यंग इंडिया’ में लिखा था – जनरल डायर की यह हारकर पूर्ण रूप से कायरता और पशुता का प्रतीक है।
कायर होने के कारण ही जनरल डायर ने हजारों निहत्थे लोगों की हत्या की। वह अपने आप को योद्धा और उद्धारक समझता है? उसकी बुद्धि पूरी तरीके से भ्रष्ट हो चुकी है। यह उसकी अयोग्यता और निर्दयता का नमूना है।
जलियांवाला बाग ब्रिटिश सरकार के अत्याचार और निर्दयिता को याद दिला देता है। साथ ही यह उन महान निर्दयी लोगों की भी याद दिलाता है जिन्होंने बिना किसी कारण अपने देश के लिए जीवन दिया।