Moral Stories in EnglishMoral Stories in English
  • Home
  • Education
  • Fables
  • Family
  • Inspiration
  • Life
  • Love
  • Motivation
  • Funny
  • Hindi Stories
    • Akbar-Birbal Stories – अकबर-बीरबल की कहानियां
    • Alif Laila Stories – अलिफ लैला की कहानियां
    • Fairy Tales Stories – परी कथाएं
    • Hindi Inspirational Stories – प्रेरणादायक कहानियां
    • Hindi Motivational Stories
    • Hindi Personal Development Stories
    • Hindi Success Stories
    • Interesting Stories – रोचक कहानियां
    • Mahabharata Stories – महाभारत की कहानियां
    • Mulla Nasruddin’s Stories – मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियां
    • Mythological Stories – पौराणिक कहानियां
    • Panchatantra Stories in Hindi (पंचतंत्र की कहानियां)
    • Ramayana Stories – रामायण की कहानियां
    • Tenali Rama Stories – तेनाली रामा की कहानियां
    • जातक कथाएं
Reading: गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध Essay on Goswami Tulsidas in Hindi
Share
Aa
Aa
Moral Stories in EnglishMoral Stories in English
Search
  • Home
  • Education
  • Fables
  • Family
  • Inspiration
  • Life
  • Love
  • Motivation
  • Funny
  • Hindi Stories
    • Akbar-Birbal Stories – अकबर-बीरबल की कहानियां
    • Alif Laila Stories – अलिफ लैला की कहानियां
    • Fairy Tales Stories – परी कथाएं
    • Hindi Inspirational Stories – प्रेरणादायक कहानियां
    • Hindi Motivational Stories
    • Hindi Personal Development Stories
    • Hindi Success Stories
    • Interesting Stories – रोचक कहानियां
    • Mahabharata Stories – महाभारत की कहानियां
    • Mulla Nasruddin’s Stories – मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियां
    • Mythological Stories – पौराणिक कहानियां
    • Panchatantra Stories in Hindi (पंचतंत्र की कहानियां)
    • Ramayana Stories – रामायण की कहानियां
    • Tenali Rama Stories – तेनाली रामा की कहानियां
    • जातक कथाएं
  • Advertise
© 2023 Moral Stories. All Rights Reserved.
Moral Stories in English > Hindi Stories - लघु कथा > Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां > गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध Essay on Goswami Tulsidas in Hindi
Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध Essay on Goswami Tulsidas in Hindi

Moral Stories
7 Min Read
गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध Essay on Goswami Tulsi Das in Hindi
SHARE

गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध Essay on Goswami Tulsi Das in Hindi

तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान कवि थे ये अपनी प्रसिद्ध कविताओं और दोहों के लिए जाने जाते हैं। इनके द्वारा लिखित महाकाव्य “रामचरितमानस” पूरे भारत में अत्यंत लोकप्रिय है।

गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध Short Paragraph or Essay on Goswami Tulsidas in Hindi

तुलसीदास जी का जन्म सन् 1511 ई. में हुआ था उनके बचपन का नाम रामबोला था। इनके पिताजी का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। अक्सर लोग अपनी मां की कोख में 9 महीने रहते हैं लेकिन तुलसीदास जी अपनी मां के कोख में 12 महीने तक रहे हैं।

जब इनका जन्म हुआ था तो उनके दांत निकल चुके थे और इन्होंने जन्म लेते ही राम नाम का उच्चारण किया जिससे लोगों ने जन्म लेने के तुरंत बाद ही इनका नाम रामबोला रख दिया।

इनके जन्म के अगले दिन ही इनकी माता का निधन हो गया, अब राम बोला के सर से माता का साया हट चुका था। इनके पिता रामबोला कर लेकर चिंतित रहने लगे तथा किसी और दुर्घटनाओं से बचने के लिए इनको चुनिया नामक एक दासी को सौंप दिया और स्वयं सन्यास धारण करने के लिए चले गए।

जब रामबोला 5 वर्ष का हुआ तब चुनिया भी चल बसी। अब रामबोला अनाथ हो गया था। अब रामबोला को अपना जीवन अकेले ही गुजारना था। रामबोला कुछ कार्यों की वजह से आसपास के क्षेत्रों में चर्चित हो गया था।

कुछ समय बाद बहुचर्चित रामबोला नरहरि दास जी को मिला जो आगे चलकर रामबोला के गुरु बने। गुरु नरहरि दास जी रामबोला को अयोध्या उत्तरप्रदेश ले आए और रामबोला का नाम बदलकर तुलसीराम रखा।

तुलसीराम तेज बुद्धि का था, वह एक बार जो सुन लेता था वो उसे कंठस्थ हो जाता था। 29 वर्ष की अवस्था में राजापुर के निकट स्थित यमुना के उस पार उनका विवाह एक सुंदर कन्या रत्नावली के साथ हुआ परंतु गौना नही हुआ।

गौना न  होने की वजह से वे कुछ समय के लिए काशी चले गए। काशी में रहकर वेद वेदांग के अध्ययन में जुट गए परंतु अचानक उनको अपनी पत्नी रत्नावली की याद सतायी और वह व्याकुल होने लगे। उन्होंने अपने गुरु से आज्ञा ली और राजापुर के लिए निकल पड़े।

अंधेरी रात में यमुना नदी को पार करते हुए वह अपनी पत्नी के कक्ष में जा पहुंचे परंतु अभी उनका गौना नहीं हुआ था इसी लोक लाज से डरकर उनकी पत्नी उन्हें वापस जाने के लिए आग्रह करने लगी। तुलसीराम अपनी पत्नी की बात नही सुन रहे थे तभी उनकी पत्नी रत्नावली तंग आकर स्वरचित एक दोहा सुनाने लगी, वह दोहा इस प्रकार है-

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति ! 
नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत

यह दोहा सुनने के बाद तुलसीराम जी, तुलसीदास हो गए और अपनी पत्नी का त्याग करके गांव वापस चले गए। गाँव जाकर साधु बन गए तथा वहीं पर रहकर भगवान राम की कथा सुनाने लगे। उसके बाद सन् 1582 ई. में उन्होंने रामचरितमानस लिखना प्रारंभ किया और वह रामचरितमानस 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन में संपन्न हुआ, यह एक ग्रंथ है जो पूरे भारत में विख्यात है।

कई जगह बताया गया है तुलसीदास जी हनुमान जी से मिले थे और हनुमान जी ने उनको कुछ बातें बताई थी। तुलसीदास जी हनुमान की बातों का अनुसरण करते हुए चित्रकूट के रामघाट पर एक आश्रम में रहने लगे। तुलसीदास जी के आश्रम के निकट कदमगिरी पर्वत था। वहां पर लोग उस पर्वत की परिक्रमा करने आते थे।

एक बार तुलसीदास जी कदमगिरी पर्वत की परिक्रमा करने के लिए निकले थे और वहां पर उनको श्रीराम जी के दर्शन प्राप्त हुए थे, तथा इन सभी घटनाओं का उल्लेख उन्होंने गीतावली में किया है।

112 वर्ष की अवस्था में सन् 1623 ई. में राम-नाम का जाप करते हुए उन्होंने अपने शरीर का परित्याग कर दिया और परमात्मा में लीन हो गए।

तुलसीदास जी की अंतिम कृति विनय पत्रिका थी जो उन्होंने मृत्यु के कुछ समय पहले लिखा था। तुलसीदास जी ने अपने जीवन काल में काफी ग्रंथों को लिखा था, उसको लोगों के द्वारा उसको पढ़ा जाता है।

उनके ग्रंथ लोगों को पसंद आते हैं तथा उसको पढ़ कर लोग प्रभावित भी होते हैं उनके कुछ ग्रंथों  के नाम निम्नलिखित हैं-

रामचरितमानस, सतसई, बैरव रामायण, पार्वती मंगल, गीतावली विनय पत्रिका, वैराग्य संदीपनी, रामलला नहछू, कृष्ण गीतावली, दोहावली और कवितावली आदि हैं।

तुलसीदास जी ने अपने छंदों का प्रयोग अपने सभी काव्यों में किया है तथा इनके प्रमुख छंद दोहा, सोरठा, चौपाई, कुंडलिया आदि है। इनके छन्दों के प्रयोग के कारण ही इनका काव्य लोगों को प्रिय लगता है तथा लोग इसको बहुत ही उत्सुकता के साथ पढ़ते हैं।

तुलसीदास जी ने अपने काव्यों और ग्रंथों में अलंकारों का प्रयोग किया है। इनके काव्यों और ग्रंथों में शब्दालंकार और अर्थालंकार का अधिकतर प्रयोग मिलता है। जिससे इनके काव्य और ग्रंथ सुसज्जित एवं सही ढंग से अलंकृत होते हैं।

तुलसीदास जी ने अपने सभी काव्यों और ग्रंथों में रसों का भी प्रयोग किया है इनके काव्य और ग्रंथों में रस भरपूर मात्रा में दिखाई देता है। जिसके जरिए इन्होंने अपने भावों को व्यक्त किया है। जिसको लोग आसानी से समझ पाते हैं।

इनके काव्य तथा ग्रंथों में शब्दालंकार, अर्थालंकार, रस और छंद पीके भरपूर समावेश से इन के सभी काव्य और ग्रंथ अत्यधिक प्रिय एवं सरल तथा रुचि देने वाले होते हैं इनके काव्य और ग्रंथों को लोग बड़ी ही उत्सुकता के साथ पढ़ते हैं।

Featured Image – Wikimedia Common https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/2/21/Goswami_Tulsidas_Awadhi_Hindi_Poet.jpg

You Might Also Like

गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानी – बुद्ध, आम और बच्चे की कहानी

स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी – सच्चा पुरुषार्थ

गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानी – पुष्प के बदले शरण

स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी – अपनी भाषा पर गर्व

Share this Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Previous Article कर्नाटक युद्ध का इतिहास History of Carnatic Wars in Hindi कर्नाटक युद्ध का इतिहास History of Carnatic Wars in Hindi
Next Article 14वें दलाई लामा की जीवनी Tenzin Gyatso Dalai Lama Biography Hindi 14वें दलाई लामा की जीवनी Dalai Lama Biography in Hindi -Tenzin Gyatso

Latest News

The Other Side Of The Wall
Motivation November 14, 2022
Practice Makes Perfect – Don’t Quit!
Motivation November 14, 2022
Laziness won’t get you anywhere
Motivation November 14, 2022
Don’t say something you regret out of anger
Motivation November 14, 2022

You Might also Like

Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानी – बुद्ध, आम और बच्चे की कहानी

Moral Stories
Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी – सच्चा पुरुषार्थ

Moral Stories
Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानी – पुष्प के बदले शरण

Moral Stories
Hindi Inspirational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी – अपनी भाषा पर गर्व

Moral Stories
Moral Stories a collection of best educational, inspirational, motivational stories and fables for everyone of any age in English and Hindi. “Learning What Matters” – Is what we at moralstories.net focus on.
  • Fables
  • Education
  • Family
  • Inspiration
  • Life
  • Love
  • Motivation
  • Famous Personalities
  • Funny
  • Hindi Stories – लघु कथा
  • Akbar-Birbal Stories – अकबर-बीरबल की कहानियां
  • Fairy Tales Stories – परी कथाएं

© 2023 Moral Stories. All Rights Reserved.

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?