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Moral Stories in English > Hindi Stories - लघु कथा > Fairy Tales Stories - परी कथाएं > सिंड्रेला की कहानी | Cinderella Ki Kahani
Fairy Tales Stories - परी कथाएं

सिंड्रेला की कहानी | Cinderella Ki Kahani

Moral Stories
11 Min Read
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बहुत पुरानी बात है, कहीं दूर देश में सिंड्रेला नाम की सुंदर लड़की रहती थी। सुंदर होने के साथ-साथ सिंड्रेला बहुत समझदार और दयालु भी थी। सिंड्रेला की मां बचपन में ही गुजर गई थी। मां के गुजरने के बाद सिंड्रेला के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। अब वह अपने पिता, सौतेली मां और दो सौतेली बहनों के साथ रहा करती थी। सौतेली मां और बहनों को सिंड्रेला बिल्कुल पसंद नहीं थी। उसकी सुंदरता और समझदारी से वे तीनों हमेशा जलती थीं, क्योंकि उसकी दोनों सौतेली बहनों के पास न अच्छी शक्ल थी और न ही अक्ल।

एक दिन की बात है, सिंड्रेला के पिता को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ा। पीछे से सौतेली मां ने सिंड्रेला के साथ बुरा बर्ताव करना करना शुरू कर दिया। सबसे पहले तो उसने सिंड्रेला की खूबसूरत पोशाक उतरवा ली और उसे नौकरानियों वाले कपड़े पहनवा दिए। इसके बाद उन तीनों ने सिंड्रेला के साथ नौकरानी जैसा बर्ताव करना शुरू कर दिया।

वो उससे खाना बनवाते, घर की सफाई करवाते, कपड़े-बर्तन धुलवाते और घर के बाकी सारे काम करवाते। यहां तक कि उन तीनों ने सिंड्रेला का कमरा भी ले लिया और उसे स्टोर रूम में रहने के लिए कह दिया। बेचारी सिंड्रेला के पास उनकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था।

आसपास के पेड़ों पर रहने वाले पंछी और स्टोर रूम के चूहों के अलावा, सिंड्रेला का और कोई दोस्त नहीं था। वह दिनभर काम करती और रात में अपने दोस्तों से बात करते-करते सो जाया करती थी।

जिस देश में सिंड्रेला रहती थी, एक दिन वहां के राजा के सिपाहियों ने बाजार में घोषणा की कि राजकुमार की शादी के लिए राजा ने महल में एक समारोह का आयोजन करवाया है। इस समारोह के लिए उन्होंने नगर की विवाह योग्य सभी लड़कियों को आमंत्रित किया है। सिंड्रेला की बहनों ने जैसे ही यह घोषणा सुनी, वे दोनों दौड़ती हुई अपनी मां के पास पहुंचीं और उन्हें सारी बात बताई। उनकी मां के कहा कि इस समारोह में सबसे सुंदर तुम दोनों ही लगोगी। राजकुमार का विवाह तुम दोनों में से किसी एक के अलावा किसी और के साथ नहीं होगा।

इस बात को सिंड्रेला ने भी सुना और उसके मन में भी समारोह में जाने की इच्छा हुई, लेकिन इस बारे में अपनी सौतेली मां से बात करने में उसे बहुत डर लग रहा था।

उसकी सौतेली मां और बहने समारोह में जाने की तैयारी करने लगीं। उन्होंने नए कपड़े सिलवा लिए और नए जूते भी खरीद लिए। वो दोनों हर रोज इस बात का अभ्यास करती थीं कि जब वो राजकुमार से मिलेंगी, तो क्या बात करेंगी और कैसे बात करेंगी।

आखिरकार समारोह का दिन आ ही गया। दोनों बहने समारोह में जाने के लिए बहुत उत्साहित थीं। उन दोनों ने सुबह से ही समारोह में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी। सिंड्रेला ने भी अपनी दोनों बहनों की मदद की। अपनी बहनों को पूरी तरह तैयार करने के बाद, सिंड्रेला ने बहुत हिम्मत जुटाई और अपनी सौतेली मां से पूछा कि मां, अब मैं भी विवाह योग्य हो गई हूं, क्या मैं भी समारोह में जा सकती हूं? यह सुन कर वे तीनों जोर-जोर से हंसने लगी और कहा, “राजकुमार को अपने लिए पत्नी चाहिए, नौकरानी नहीं।” यह कह कर वो तीनों वहां से चली गईं।

उनके जाने के बाद सिंड्रेला बहुत उदास हो गई और रोने लगी। तभी उसके सामने एक तेज रोशनी आई, जिसमें से एक परी निकली। परी ने सिंड्रेला को अपने पास बुलाया और कहा, “मेरी प्यारी सिंड्रेला, मैं जानती हूं कि तुम क्यों दुखी हो, लेकिन अब तुम्हारे मुस्कुराने का समय आ गया है। तुम भी उस समारोह का हिस्सा बन पाओगी। इसके लिए मुझे सिर्फ एक कद्दू और पांच चूहों की जरूरत है।”

सिंड्रेला कुछ समझ नहीं पाई, लेकिन फिर भी उसने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा परी ने कहा। वह दौड़ती हुई किचन में गई और एक बड़ा-सा कद्दू उठा लाई। उसके बाद वह स्टोर रूम में गई और अपने मित्र चूहों को ले आई। सब कुछ मिल जाने के बाद परी ने अपनी जादुई छड़ी को घुमाया और कद्दू को एक बग्गी में बदल दिया। फिर वह चूहों की तरफ मुड़ी। उसने चार चूहों को खूबसूरत सफेद घोड़ों और एक चूहे को बग्गी चलाने वाला बना दिया।

यह सब देखकर सिंड्रेला को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। इससे पहले कि वह कुछ पूछ पाती, परी ने अपनी छड़ी घुमाई और सिंड्रेला को एक खूबसूरत राजकुमारी की तरह सजा दिया। उसके शरीर पर एक बहुत सुंदर गाउन था और पैरों में चमचमाते जूते। वह समारोह में जाने के लिए पूरी तरह तैयार थी और इस खुशी से वह फूली नहीं समा रही थी।

परी ने सिंड्रेला से कहा, “अब तुम समारोह में जाने के लिए पूरी तरह तैयार हो, लेकिन ध्यान रखना रात को 12 बजे से पहले तुम्हें घर पहुंचना होगा, क्योंकि 12 बजे के बाद जादू का असर खत्म हो जाएगा और तुम अपने असली रूप में आ जाओगी।” सिंड्रेला ने परी को धन्यवाद कहा और बग्गी में बैठ कर महल की ओर निकल पड़ी।

जैसे ही सिंड्रेला महल पहुंची सबकी नजर उस पर आ टिकी। उसकी सौतेली मां और बहने भी वहीं थीं, लेकिन वह इतनी खूबसूरत लग रही थी कि वे तीनों भी उसे पहचान नहीं पाए। तभी सिंड्रेला ने देखा कि राजकुमार सीढ़ियों से उतरते हुए नीचे आ रहे हैं। सब लोग उनकी तरफ देखने लगे। जैसे ही राजकुमार की नजर सिंड्रेला पर पड़ी, वे उसे देखते ही रह गए। समारोह में मौजूद सभी राजकुमारियों के पास न जाकर, राजकुमार सीधे सिंड्रेला के पास आए और अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा कि राजकुमारी, क्या आप मेरे साथ डांस करना पसंद करेंगी? सिंड्रेला ने शर्माते हुए अपना हाथ राजकुमार के हाथ में दे दिया और दोनों डांस करने लगे।

सिंड्रेला राजकुमार के साथ डांस करते-करते इतना खो गई कि उसे समय का ध्यान ही नहीं रहा। तभी अचानक उसकी नजर दीवार पर लगी घड़ी पर गई। 12 बजने वाले थे और सिंड्रेला को परी की बात याद आ गई। परी की चेतावनी याद आते ही, वह घबरा गई और राजकुमार को वहीं छोड़ कर भाग गई। सिंड्रेला को इस तरह अचानक भागता देख, राजकुमार उसके पीछे-पीछे दौड़े। हड़बड़ी में दौड़ने की वजह से सिंड्रेला का एक जूता निकल गया और महल के बाग में ही छूट गया। वह फटाफट अपनी बग्गी में बैठी और घर को लौट गई। जब उसे ढूंढते हुए राजकुमार बाहर आए, तो उन्हें बाग में सिंड्रेला का जूता मिला। यह देखकर राजकुमार दुखी हो गए और सोचा कि वह सिंड्रेला को ढूंढकर ही रहेंगे।

अगले दिन राजकुमार ने अपने सिपाहियों को बुलाया और उन्हें जूता थमाते हुए कहा कि शहर के हर घर में जाओ और समारोह में आई हर लड़की को यह जूता पहना कर देखो। जिसके भी पैर में यह जूता आ जाए, उसे यहां ले आओ। सिपाहियों ने बिल्कुल ऐसा ही किया। वे शहर के हर घर में गए और समारोह में आई हर लड़की को जूता पहना कर देखा। किसी को जूता छोटा पड़ रहा था और किसी को बड़ा। सारा शहर घूमने के बाद, आखिर में सिपाही सिंड्रेला के घर पहुंचे। जैसे ही सिंड्रेला ने सिपाहियों को देखा, तो वह समझ गई कि ये राजकुमार के कहने पर आए हैं और वह खुशी से दरवाजे की तरफ दौड़ी।

उसी समय उसकी सौतेली मां ने उसका रास्ता रोक लिया। सौतेली मां ने सिंड्रेला से पूछा, तुम कहां चली? सिपाही उस लड़की के लिए आए हैं, जो कल रात समारोह में थी। तुम तो कल आई ही नहीं थी, तो तुम नीचे जाकर क्या करोगी? ऐसा कह कर उन्होंने सिंड्रेला को स्टोर रूम में बंद कर दिया और चाबी अपनी जेब में रख ली।

जब सिपाही जूता लेकर घर में आए तो उसकी दोनों बहनों ने उस जूते को पहनने की कोशिश की, लेकिन वो दोनों नाकाम रहीं। वहीं, निराश होकर सिंड्रेला रोने लगी। उसे रोता देख, उसके चूहे मित्र को एक उपाय सूझा। दरवाजे के नीचे से निकल कर वह दौड़ते हुए नीचे गया और चुपके से सौतेली मां की जेब से चाबी निकाल लाया और सिंड्रेला को दे दी। चाबी मिलते ही सिंड्रेला ने दरवाजा खोला और दौड़ती हुई नीचे गई।

सिपाही महल की ओर लौट ही रहे थे कि तभी उन्हें सिंड्रेला की आवाज आई, “मुझे भी जूता पहन कर देखना है।” यह सुनकर सौतेली मां और बहने हंसने लगीं, लेकिन सिपाही ने सिंड्रेला को भी जूता पहनने का मौका दिया। जैसे ही उसने पैर जूते में डाला, वह आसानी से उसके पैर में आ गया। यह देख कर सभी चौंक गए और सिपाही ने सिंड्रेला से पूछा, “क्या यह जूता आपका है?” इस पर सिंड्रेला ने हां में अपना सिर हिलाया।

सिपाही सिंड्रेला को बग्गी में बिठा कर महल ले गए, जहां उसे देखकर राजकुमार बहुत खुश हुए। उन्होंने सिंड्रेला के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे उसने प्रसन्नता से स्वीकार कर लिया। राजकुमार और सिंड्रेला की शादी हो गई और वो हमेशा खुशी-खुशी महल में रहने लगे।

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