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चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi

Moral Stories
12 Min Read
चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय
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इस लेख में आप चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi हिन्दी में पढ़ेंगे। इसमे आप उनकी जीवनी, परिचय, जन्म व प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, मुख्य देशभक्ति कार्य, मृत्यु के विषय में पूरी जानकारी

Contents
चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय Chandra Shekhar Azad Biography in Hindiजन्म और प्रारंभिक जीवन Birth and Early Life of Chandra Shekhar Azadचन्द्रशेखर आज़ाद की शिक्षा Education of Chandra Shekhar Azad in Hindiचंद्रशेखक आजाद के अन्य मुख्य देशभक्ति कार्य Major Patriotic Works by Chandra Shekhar Azad in Hindiचन्द्रशेखर आज़ाद की क्रांतिकारी गतिविधियां Revolutionary Activitiesहिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन HRSAचंद्रशेखर आज़ाद मृत्यु Death of Chandra Shekhar Azad in Hindiचंद्रशेखर आजाद की जयंती Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary

चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi

चंद्रशेखर आजाद एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियो में से एक थे। उनकी अटूट देशभक्ति और साहस ने अपनी पीढ़ी के अन्य युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह के साथी थे और अन्य महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ चंद्रशेखर आजाद को भी भारत के महान क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है। देश को स्वतंत्र कराने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 

जन्म और प्रारंभिक जीवन Birth and Early Life of Chandra Shekhar Azad

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव में हुआ था।

उनके माता-पिता पंडित सीताराम तिवारी और जगरानी देवी थे। पं. सीताराम तिवारी अलीराजपुर के पूर्वी इलाके में सेवा करते थे (जो वर्तमान में मध्य प्रदेश में स्थित है)। आजाद के पिता संवत् 1956 में अकाल के समय अपने पैतृक घर बदरका को छोड़कर पहले कुछ दिनों मध्य प्रदेश अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे, उसके बाद भाबरा गाँव में बस गये।

यहीं बालक चन्द्रशेखर का बचपन बीता। यह गाँव आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित था। इस कारण बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष बाण चलाये। क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्मस्थान भाबरा अब ‘आजादनगर’ के रूप में जाना जाता है।

चंद्रशेखर कट्टर सनातनधर्मी ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता ईमानदार, स्वाभिमानी, साहसी और वचन के पक्के थे। यही गुण चंद्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिले थे।

चन्द्रशेखर आज़ाद की शिक्षा Education of Chandra Shekhar Azad in Hindi

गरीबी के कारण चंद्रशेखर की अच्छी शिक्षा-दीक्षा नहीं हो पाई, लेकिन पढ़ना-लिखना उन्होंने गाँव के ही एक बुजुर्ग मनोहरलाल त्रिवेदी से सीख लिया था, जो उन्हें घर पर निःशुल्क पढ़ाते थे।

वह इन्हें और इनके भाई (सुखदेव) को अध्यापन का कार्य कराते थे और गलती करने पर बेंत का भी प्रयोग करते थे। चन्द्रशेखर के माता पिता उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहते थे। चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में अपनी मां जगरानी देवी के आग्रह पर संस्कृत का अध्ययन करने के लिए काशी विद्यापीठ, बनारस गए थे।

चंद्रशेखक आजाद के अन्य मुख्य देशभक्ति कार्य Major Patriotic Works by Chandra Shekhar Azad in Hindi

  • मनोहरलाल जी ने इनकी तहसील में साधारण सी नौकरी लगवा दी ताकि घर की कुछ आर्थिक मदद भी हो जाये। किन्तु शेखर का मन नौकरी में नहीं लगता था क्योंकि उनके अंदर देश प्रेम की चिंगारी सुलग रहीं थी। यह चिंगारी धीरे-धीरे आग का रुप ले रहीं थी।
  • बचपन से ही चंद्रशेखर में भारतमाता को स्वतंत्र कराने की भावना कूट-कूटकर भरी होने के कारण उन्होनें स्वयं अपना नाम आज़ाद रख लिया था। 13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग़ अमृतसर में हुए जनरल डायर द्वारा नरसंहार ने उन्हें सदा के लिए क्रांति के पथ पर अग्रसर कर दिया।
  • काकोरी काण्ड में फरार होने के बाद उन्होंने छिपने के लिए साधु का वेश बनाना सीख लिया था और इसका उपयोग उन्होंने कई बार किया।
  • सभी क्रान्तिकारी उन दिनों रूस की क्रान्तिकारी कहानियों से अत्यधिक प्रभावित थे आजाद उनमे से एक थे। लेकिन वे खुद पढ़ने के बजाय दूसरों से सुनने में ज्यादा आनन्दित होते थे। एक बार दल के गठन के लिये बम्बई गये तो वहाँ उन्होंने कई फिल्में भी देखीं। उस समय मूक फिल्मों का ही प्रचलन था अत: वे फिल्मो के प्रति विशेष आकर्षित नहीं हुए।

चन्द्रशेखर आज़ाद की क्रांतिकारी गतिविधियां Revolutionary Activities

चन्द्रशेखर आज़ाद ने अपने जीवन काल में कई क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया जो निम्न है –

  • 1920-21 में गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में भाग लिया। गिरफ्तार होने पर जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जहां उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और ‘जेल’ को उनका निवास बताया।
  • उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई और हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, ‘वन्दे मातरम्‌’ और ‘महात्मा गांधी की जय’ का स्वर बुलंद किया।
  • रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र (1925) में सक्रिय रूप से भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए।
  • 17 दिसंबर, 1928 को चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और राजगुरु द्वारा शाम के समय लाहौर में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर को घेर लिया गया और अपने अंगरक्षको के साथ निकले जे.पी. साण्डर्स को राजगुरु द्वारा पहली गोली मारी गयी। जिस कारण वह मोटरसाइकिल से नीचे गिर पड़ा। इसके बाद भगत सिंह ने आगे बढ़कर 4-6 गोलियां दाग कर जे.पी. साण्डर्स को हमेशा के लिया ख़त्म कर दिया। अंगरक्षक द्वारा पीछा करने पर चंद्रशेखर आजाद ने उन्हें भी गोली से मार दिया।
  • चंद्रशेखर आज़ाद 1919 में अमृतसर में हुए जलियावाला बाग हत्याकांड से काफी परेशान थे। 1921 में, जब महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन शुरू करने पर चंद्रशेखर आज़ाद सक्रिय रूप से क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए परन्तु क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के कारण चन्द्रशेखर पकड़े गए।
  • चंद्रशेखर, “आजाद” के नाम से प्रसिद्ध हुए। चंद्रशेखर आज़ाद ने वचन दिया कि उन्हें ब्रिटिश पुलिस द्वारा कभी गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और वह मुक्त व्यक्ति के रूप में मौत को गले लगायेंगे।
  • 1922 में चंद्रशेखर आजाद को असहयोग आंदोलन से निकालने पर वो बहुत आक्रमक हुए और उन्होंने अपने आप को वचनबद्ध किया कि किसी भी हालत में वे आजादी दिला कर रहेंगे।
  • झांसी को चंद्रशेखर आज़ाद द्वारा कुछ समय के लिए अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बनाया गया। यहाँ से करीब 15 किलोमीटर दूरी स्थित ओरछा के जंगलो में वो निशानेबाजी का अभ्यास करते रहते थे। साथ ही अपने दल के दूसरे सदस्यों को भी निशानेबाजी के लिए प्रशिक्षित करते थे। इनके ही नाम से मध्य प्रदेश सरकार ने बाद में इस गाँव का नाम आजादपूरा कर दिया था।
  • 1924 में बिस्मिल, चटर्जी, चीन चन्द्र सान्याल और सचिन्द्र नाथ बक्शी द्वारा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की गयी थी परंतु 1925 में हुए काकोरी कांड के बाद अंग्रेजो द्वारा क्रांतिकारी गतिविधियो पर अंकुश लगा दिया गया और इस काण्ड में शामिल रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को फांसी की सजा दी गयी। चंद्रशेखर आजाद, केशव चक्रवती और मुरारी शर्मा बच कर निकल गये।
  • 1928 चंद्रशेखर आजाद ने क्रांतिकारियो के साथ मिलकर पुन: हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया और बाद में इसे भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की सहायता से हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में तब्दील कर दिया। अब उनका सिद्धांत समाजवाद के सिद्धांत पर स्वतंत्रता पाना मुख्य उद्देश्य था।
  • चंद्रशेखर आजाद (1926) में काकोरी ट्रेन डकैती में शामिल हुए, और उन्होंने वाइसराय की ट्रेन (1926) में रखा खजाना लूट लिया, और लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला लेने के लिए (1928) में सौन्दर्स को गोली मर दी।
  • असहयोग आंदोलन के स्थगित होने के बाद चंद्रशेखर आज़ाद अब किसी भी कीमत पर देश को आज़ादी दिलाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध कर चुके थे। अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इन्होंने ऐसे ब्रिटिश अधिकारियों को निशाना बनाया जो सामान्य लोगों और स्वतंत्रता सेनानियों के विरुद्ध दमनकारी नीतियों के लिए जाने जाते थे।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन HRSA

भगत सिंह और सुखदेव और राजगुरु जैसे अन्य सहयोगियों के साथ, चंद्रशेखर आजाद ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन (HRSA) का गठन किया। एच आर एस ए भारत की भविष्य की प्रगति के लिए और भारतीय स्वतंत्रता और समाजवादी सिद्धांतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध था।

आज़ाद ब्रिटिश पुलिस के लिए एक भय बन चुके थे। ब्रिटिश पुलिस की प्रहार सूचि में चंद्रशेखर आजाद नाम था और ब्रिटिश पुलिस उनको ज़िंदा या मरा हुआ पकड़ना चाहती थी।

चंद्रशेखर आज़ाद मृत्यु Death of Chandra Shekhar Azad in Hindi

ब्रिटिश पुलिस के लिए चंद्रशेखर आजाद एक भय का कारण बन चुके थे। ब्रिटिश सरकार उनको ज़िंदा या मरा हुआ पकड़ना चाहती थी। 27 फरवरी, 1931 को अपने दो साथियों द्वारा चन्द्रशेखर आज़ाद को धोखा दिया गया चन्द्रशेखर आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क अल्लाह पार्क में होने की ख़बर ब्रिटिश पुलिस को दी गयी।

जिस कारण पुलिस ने पार्क को चारों तरफ से घेर लिया और चंद्रशेखर आजाद को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। स्वयं चन्द्रशेखर आज़ाद ने अकेले ही बहादुरी से इनका सामना किया और तीन ब्रिटिश पुलिस कर्मियों को मार गिराया।

परन्तु स्वयं को पुलिस द्वारा घेरे जाने के कारण और बचने का कोई रास्ता न होने पर चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मार दी। इस तरह उन्होंने ज़िंदा नहीं पकड़े जाने की प्रतिज्ञा को पूरा किया। चंद्रशेखर आजाद की वह पिस्तौल हमें आज भी इलाहबाद म्यूजियम में देख सकते है।

चंद्रशेखर आजाद की जयंती Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary

23 जुलाई का दिन चंद्रशेखर आजाद की जयंती के रूप में मनाया जाता है। चन्द्र शेखर आजाद द्वारा अपने जीवन में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए भरसक प्रयास किये गये। चन्द्रशेखर आज़ाद अंग्रेजो के नाक का नासूर बन चुके थे।

जिस कारण अग्रेज सरकार इनका दमन करना चाहती थी परन्तु अपनी जीवन में ली गयी प्रतिज्ञा कि वो कभी अंग्रेज सरकार द्वारा कभी पकड़े नही जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।

आशा करते हैं चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi से आपको पूरी जानकारी मिल पाई होगी।

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