Do you want to read Indira Gandhi Biography in Hindi ? क्या आप भारत की सर्व प्रथम महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी के विषय में जनना चाहते हैं? क्या आप इंदिरा गाँधी के पूरी जीवनी या बायोग्राफी जानना चाहते हैं?
तो चलिए उनके जीवन के विषय में जानें कि उनका निजी जीवन और कार्यकारी जीवन कैसा रहा।
इंदिरा गाँधी का बायोग्राफी – जीवन परिचय Indira Gandhi Biography in Hindi
इंदिरा गाँधी का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को अलाहबाद, भारत में हुआ था। उनका बचपन का जीवन राजनीतीक कार्यों को देखते खेलते हुए गुज़रा था उनके पिता चाचा नेहरु या जवाहर लाल नेहरु के कारण जो भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए थे।
इंदिरा गाँधी नें 3 बार प्रधान मंत्री के रूप में सेवा किया 1966 से 1977 के बिच और 1980 के शुरुवाती समय में। 1984 में उनके कुच्छ सिख अंगरक्षकों नें उनकी हत्या कर दी।
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इंदिरा गाँधी का प्रारंभिक जीवन काल
वह जवाहरलाल नेहरु जी की एकमात्र संतान थी, जो भारत की आज़ादी के बाद सर्व प्रथम प्रधानमंत्री बनी और वह भी एक महिला। वे बचपन से ही बहुत ही चालक और पढाई में बहुत ही बुद्धिमान थी। उन्होंने अपनी पढाई बहुत ही अच्छी तरीके से पूरी की Swiss schools तथा Somerville College, ऑक्सफ़ोर्ड में।
1936 में, उनकी माता जी कमला नेहरु की मृत्यु के बाद उन्हें जो भी आगे की शिक्षा मिली अपने पिता से मिली और पॉलिटिक्स का ज्ञान भी उस समय के कुछ बहुत ही महान नेताओं से मिला और उनसे मार्ग दर्शन भी मिला।
पॉलिटिक्स या राजनीति में इंदिरा गाँधी का कैरियर
इंदिरा गाँधी को 1959 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उनकी पिता की मृत्यु के बाद उन्हें बहुत बड़ा दुख पहुंचा। बाद में उन्हें सुचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी चुना गया(minister of information and broadcasting)। 1966 में जब उनके पिता के उत्तराधिकारी पंडित लाल बहादुर शाश्त्री की अचानक मृत्यु हो गयी तो उन्हें भारत के कांग्रेस नें प्रधानमंत्री के पद पर उन्हें नियुक्ति दी।
उन्होंने दुनिया के सभी लोगों और उनके पिता के करीबी लोगो को भौचाका कर दिया जबी उन्होंने अपनी काबिलियत को भारत के विकास में सोच ना सकने वाला योगदान दिया। उस समय उन्हें एक हीरो के समान देखा गया और आज भी उनके कार्य इतिहास में लिखे गए हैं। उन्होंने भारत के गरीब और भूख मरी को दूर करने के लिए उस समय कई कार्यक्रमों और किसानो के लिए प्रोग्राम तैयार किये जो सफल भी हुए।
इंदिरा गाँधी का राजनयिक सफलता
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरानजब पाकिस्तान की सेना पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के खिलाफ हिंसक गतिविधि का आयोजन किया तो 10 लाख पाकिस्तानी भारत भाग आये। पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के बाद इंदिरा नें पाकिस्तानी राष्ट्रपति को 7 दिन के शिखर बैठक के लिए शिमला आमंत्रित किया।
आखिर में दोनों नेताओं नें समझौता किया और हाश्ताक्षर किये, शांतिपूर्ण तरीके से कश्मीर के मसले को सुलझाने की। उन्होंने बाद में बांग्लादेश को नए और स्वतंत्र राष्ट बनाने में अपना नेतृत्व किया।
इंदिरा गाँधी नें एक आन्दोलन भी छेड़ा था जिसे Green Revolution हरित क्रांति के रूप में जाना जाता है जिसका उन्होंने नेतृत्व किया था। अत्याधिक भूक्मारी के कारण पंजाब क्षेत्र के गरीब सिख बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए कई लोगों की जान भी चली गयी।
उस समय इंदिरा नें फसल विविधिकरण और खाद्य निर्यात बढ़ने का निर्णय लिया। जिसके कारण लोगों को खाना भी सही रूप में उपलब्ध हो सका और उन्हें एक रोजगार भी मिला।
पुरस्कार
इंदिरा गाँधी को 1971 में भारतरत्न से नवाज़ा गया।
इंदिरागांधी के जीवन में सत्तावादी झुकाव और कैद
उनकी इतनी साड़ी उपलाब्दियों के पश्चात भी इंदिरा एक सत्तावादी हाथ के साथ शासन कर रही थी क्योंकि उनके कांग्रेस में उस समय भ्रष्ट्राचार कूट-कूट कर भरा था।
1975 में उच्च न्यायालय में चुनाव के समय उन्हें नाबालिक अतिक्रमण के लिए दोषी पाया गया और इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। इंदिरा नें उस आपातकालीन स्तिथि में राष्ट की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति शासन का अनुरोध किया।
इंदिरा गाँधी अगला चुनाव हार गयी और उन्हें कैद भी कर लिया गया था। अगले चुनाव में 1980 को भारत के देशवासिओं नें इंदिरा को दुबारा चुनाव जिताया। उसी वर्ष उनके बेटे संजय गाँधी जो की उनके प्रमुख राजनीतिक सलाहकार थे उनकी दिल्ली में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। उनके बेटे संजय की मृत्यु के बाद उन्होंने राजनेता बनाने के लिए अपने दुसरे बेटे को तैयार किया जिनका नाम था राजीव गांधी।
इंदिरा गाँधी की हत्या कैसे हुई?
1980 के दौरान भारत में एक सिख अलगाववादी आन्दोलन भारत में विक्सित हुआ जिसको इंदिरा गाँधी ने बंद करने का कोशिश किया। उसी वर्ष सिख के चरमपंथियों नें अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक आन्दोलन आयोजित किया उसी समय इंदिरा नें उन्हें हटाने के लिए 70000 सैनिकों को भेजा और इसी में कुल 450 से भी ज्यादा लोग मारे गए।
31 अक्टूबर, 1984 में इंदिरा गाँधी के एक विश्वसनीय सिख अंगरक्षक था, जिसने 38 रिवाल्वर से नजदीक से गोली मार दिया। उसी समय वही मौजूद एक दूसरे सिख अंगरक्षक नें 30 राउंड के स्वचालित हथियार निकल कर इंदिरा के पुरे शारीर को गोलीयों से छन्नी कर दिया। इंदिरा गाँधी को अस्पताल लेते समय उनकी मृत्यु हो गयी।